रफीक जाफर एक 76 वर्षीय बुज़ुर्ग युवा हैं, जो हर दिन सुबह नो बजे अपने घर से गांव तले के लिए निकलते हैं। उन्हें पैदल रेलवे स्टेशन जाना होता है, जहाँ से वे लोकल ट्रेन में बैठते हैं और “डेक्कन मुस्लिम इंस्टीट्यूट” (The Deccan Muslim Institute) कैंप की लाइब्रेरी में जाते हैं। उन्होंने यहां पर अपनी पसंद की जगह ढूंढ ली है और पूरा दिन उसी ख़ास कुर्सी पर अध्ययन करते हैं।
शाम को बुजुर्ग युवा जाफर अपने घर को वापस लौटते हैं और तले गांव के थियेटर “शिवाजी टॉकीज” (Shivaji Talkies) में ग्यारह या तीन बजे का शो देखते हैं। वे बहुत एक्टिव हैं और इतवार को भी आराम नहीं करते हैं।
यह एक शानदार दिनचर्या है जो उन्होंने अपने जीवन के कुछ अनुभवों को आवाज़ देकर साझा किया है।
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