एक वक्त ऐसा भी था जब हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (Hurriyat Conference) ने कश्मीर घाटी (Kashmir Valley) में अचानक हड़ताल कर दी थी और पत्थर फेंकने वालों की सेनाएं किसी भी समय श्रीनगर और अन्य शहरों में आ सकती थी। अब झेलम नदी के दाहिने बांध पर स्थित पॉश राज बाग में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (Hurriyat Conference) कार्यालय वीरान है जिनके दरवाजे पर टंगे बोर्ड पर लिखा है ‘यह कार्यालय राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा सील कर दिया गया है।’
आवाज द वॉइस के रिपोर्टर ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के एक नेता से फोन पर बात की और कहा, “मैंने सब छोड़ दिया है और राजनीति से खुद को अलग कर लिया है। मैं सभी हिंदुओं, मुसलमानों और दुनिया के सभी लोगों के अच्छे होने की कामना करता हूं और सभी के लिए प्रार्थना करता हूं।” उनकी बातों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हुर्रियत नेताओं ने इसे बंद कर दिया है।
कश्मीर में शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने दो मोर्चों पर काम किया: पहला कश्मीर के तीन दशक पुराने आतंकवाद के पीछे के पाकिस्तान से सख्ती से निपटना, और दूसरा आतंकवादियों और उनके विचारों से निपटना। कश्मीर में खुशी के दिन लौटते दिख रहे हैं, लेकिन उम्मीद है कि शांति बनाए रखने में सरकार के सामने चुनौतियां अभी भी है।
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