डॉक्टर को इंसानों के लिए भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है, स्वस्थ समाज बनाने में चिकित्सकों का योगदान निर्विवाद है। असम के डॉ इमाम अली भी एक ऐसे ही मानवतावादी डॉक्टर हैं, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी लोगों की सेवा के लिए समर्पित कर दी है।
असम के करीमगंज ज़िले के रहने वाले डॉ इमाम अली ने 1972 में डिब्रूगढ़ मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया और इसके बाद अपनी ज़िंदगी का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण इलाकों में रहने वाले हज़ारों गरीब लोगों को फ्री मेडिकल हेल्प देने में बिता दिया।
डॉ अली ने आवाज़ द वॉयस को बताया कि उन्होंने अपना ज्यादातर मेडिकल करियर असम के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की सेवा में बिताया है, इसलिए ग्रामीण इलाकों में गरीब और जरूरतमंद लोग अक्सर चिकित्सा सेवाओं के लिए उनके पास आते हैं। उन्होंने गरीब मरीजों की मदद करने की सोच पैदा करने की भी कोशिश की और वो ऐसा करने में भी सफल हुए।
हज़ारों गरीब लोगों को मुफ़्त चिकित्सा सेवाएं देने वाले डॉ इमाम अली कछार कैंसर अस्पताल के चिकित्सा निदेशक पद्मश्री डॉ रबी कन्नन और शिलांग मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर गिरिधारी कोर से प्रेरित थे, क्योंकि वो भी चिकित्सा सेवाओं के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद करते रहे हैं।
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