28-Oct-2025
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Hazrat Nizamuddin Auliya का 722वां उर्स: भाईचारा, रूहानी सुकून और गंगा-जमुनी तहज़ीब का जश्न

उत्तम सिंह, जो दिल्ली से आए थे, बताते हैं कि उनका परिवार कई पीढ़ियों से दरगाह में आता रहा है। उनका तजुर्बा है कि यहां सभी धर्मों के लोग एक साथ हैं और हर कोई समान श्रद्धा दिखाते हैं।

हाल ही में दिल्ली की मशहूर दरगाह Hazrat Nizamuddin Auliya पर उनके पांच रोज़ा यानी 722वां उर्स-ए-पाक बड़ी श्रद्धा और मोहब्बत के साथ मनाया गया। दरगाह का हर कोना इश्क़-ए-इलाही, इंसानियत और सूफ़ी रंग में डूबा रहा। महफ़िल-ए-समा में क़व्वाली की आवाज़ें गूंजती रहीं और ज़ायरीन अमन, बरकत और दुआओं की ख़्वाहिश लेकर नज़र आए। इस मौके पर Hazrat Nizamuddin Auliya की तालिमात और पैग़ाम को दोहराया गया। ये सिर्फ़ एक मज़हबी आयोजन नहीं, बल्कि भाईचारे, मोहब्बत और गंगा-जमुनी तहज़ीब का ज़िंदा उदाहरण था। हज़ारों श्रद्धालु, अलग-अलग धर्मों से आए, जिन्होंने दरगाह पर माथा टेककर अपने मन की मुरादें मांगीं।

भाईचारे और गंगा-जमुनी तहज़ीब का पैग़ाम

चीफ इंचार्ज दरगाह, सैयद काशिफ़ अली निज़ामी ने DNN24 को बताया कि Hazrat Nizamuddin Auliya का पैग़ाम हमेशा भाईचारा, प्यार और मोहब्बत का रहा है। उन्होंने कहा कि दरगाह पर हर धर्म और ज़ात के लोग आते हैं हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई। “आज भी यही पैग़ाम है। लोग हर धर्म से आकर दरगाह पर अपनी श्रद्धा दिखाते हैं। Hazrat Nizamuddin Auliya का पैग़ाम है कि सबको जोड़कर चलना चाहिए।”

उन्होंने एक उदाहरण भी दिया, जिसमें एक शख्स दरगाह पर हज़रत को तोहफ़ा देना चाहता था। हज़रत ने उसे रोकते हुए कहा कि उनका काम सहूलियत और जोड़ने का है, न कि अलग-अलग चीज़ों को बांटने का। यही सीख आज भी दरगाह आने वालों के दिलों में समाई हुई है।

दिल्लीवासी ज़ायरीन की भावनाएं

उत्तम सिंह, जो दिल्ली से आए थे, बताते हैं कि उनका परिवार कई पीढ़ियों से दरगाह में आता रहा है। उनका तजुर्बा है कि यहां सभी धर्मों के लोग एक साथ हैं और हर कोई समान श्रद्धा दिखाते हैं। वो कहते हैं, “यहां आकर महसूस होता है कि ख़ुदा एक ही है। चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान, सभी यहां समान रूप से माथा टेकते हैं। हमारी कई मुरादें पूरी हुई हैं। अब हमारे बच्चे भी यही अनुभव लेने आए हैं।”

उत्तम सिंह ये भी बताते हैं कि दरगाह पर Hazrat Nizamuddin Auliya की रूह हर किसी के दिल को जोड़ती है। हिंदू इसे फकीर कहते हैं, मुसलमान इसे पीर। लेकिन सबका मतलब वही है रूहानी सुकून और भाईचारे का संदेश।

दूर-दूर से आए अकीदतमंद

ख्वाजा रिफ़ाकत फरीदी उत्तर प्रदेश के अमरोहा से आए। उन्होंने कहा, “Hazrat Nizamuddin Auliya का ये 722 वां उर्स मेरे लिए बहुत ख़ास है। मैं यहां आकर बहुत खुश हूं। ये दरगाह बुज़ुर्गों की आस्थाओं का केंद्र है। यहां कोई धर्म या जाति नहीं देखी जाती। सभी लोग गंगा-जमुनी तहज़ीब के तहत मिलते हैं और अपने दिल की मुरादे मांगते हैं।” उनका कहना है कि दरगाह पर आना सिर्फ़ हाजिरी देना नहीं है, बल्कि ये रूहानी तजुर्बा और सुकून पाने का मौका है। बुज़ुर्गों की दरगाह में अलग ही रौनक होती है। यहां हर वक़्त श्रद्धालु आते हैं और अपने मन की दुआएं लेकर जाते हैं।

सूफ़ी इल्म और रूहानी सुकून

सूफ़ी ख्वाजा अजमल निज़ामी, सूफ़ी स्कॉलर और दरगाह के कस्टोडियन, बताते हैं कि दिल्ली और देशभर से Hazrat Nizamuddin Auliya की दरगाह लगभग 800 साल से एक सांस्कृतिक और सूफ़ी केंद्र के रूप में सक्रिय है। यहां हर धर्म और पसमंज़र के लोग आते हैं। लोग दरगाह पर हाजिरी देकर रूहानी सुकून और मन की मुरादें पूरी होने का अनुभव पाते हैं।

उन्होंने कहा कि दरगाह पर आने का असली मक़सद अल्लाह की ख़ुशनूदी पाना और मन की शांति हासिल करना है। साथ ही, उर्स के दौरान दरगाह में रोजाना लगभग 10,000 लोगों को लंगर वितरित किया जाता है। महफ़िल-ए-समा में पूरे हिंदुस्तान से अलग-अलग क़व्वाल और ग्रुप आते हैं और क़व्वाली प्रस्तुत करते हैं। जो लोग दूर रहते हैं, वो ऑडियो और वीडियो के ज़रिए हाजिरी पेश कर सकते हैं।

मुंबई से आए श्रद्धालु की जज़्बात

गुलाम हुसैन नूरी मुंबई से आए, बताते हैं कि उनके साथ कई लोग काफिले में आए। उन्होंने कहा, “यहां का माहौल बहुत अच्छा है। लोगों की भीड़ देखकर अच्छा लगता है। इस दौरान कुल फातिहा और दुआ होती है। सुफ़ियाना क़व्वाली सुनना इबादत के समान है।” उन्होंने ये भी कहा कि Hazrat Nizamuddin Auliya का पैग़ाम भाईचारे और प्यार का है। ये वही संदेश है जो 700-800 साल पहले गरीब नवाज़ ने दिया था, और आज भी ये पैग़ाम उसी तरह चलता है।

प्रेम, भाईचारा और रूहानी अनुभव

इस उर्स के ज़रिए से एक बार फिर ये साबित हुआ कि Hazrat Nizamuddin Auliya की दरगाह सिर्फ़ एक मज़हबी जगह नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लिए एक रूहानी मरकज़ है।
दरगाह की महफ़िल-ए-समा, क़व्वाली की मिठास, लंगर की सेवा और हर धर्म के लोगों की एकता ये सब मिलकर एक अद्भुत और रूहानी अनुभव बनाते हैं। ये स्थल हर आने वाले को इंसानियत, मोहब्बत और गंगा-जमुनी तहज़ीब का संदेश देता है।

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