कश्मीर के लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली पारंपरिक टोपी को कराकुल टोपी (Karakul Cap) के नाम से जाना जाता है। कश्मीर की शाही टोपी मानी जाने वाली कराकुल टोपी कश्मीरियों के लिए सम्मान का प्रतीक है। आपने कराकुल टोपियों को मुहम्मद अली जिन्नाह, मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसी बड़ी शख्सियतों को पहने देखा होगा।
किस भेड़ की खाल से बनती है यह टोपी
इस टोपी के फर में एक नरम, घुंघराली बनावट, मखमली एहसास और चमक होती है। कराकुल शब्द भेड़ की कराकुल नस्ल से आया है। टोपी कराकुल या कराकुल नस्ल की भेड़ की खाल से बनी है, जो मध्य एशिया के रेगिस्तानी इलाकों में पाई जाती है। भेड़ का नाम उज़्बेकिस्तान के बुखारा क्षेत्र के एक शहर क़ोराकोल के संबंध में रखा गया। बाद में, टोपी अफगानिस्तान के एक शहर मजार शरीफ में लोकप्रिय हो गई, फिर उज़्बेक कारीगर भी इस व्यवसाय को पाकिस्तान ले आए। अंततः कश्मीरी संस्कृति का एक अभिन्न अंग बन गई।

5 हज़ार से लेकर 20 हज़ार तक है कीमत
चमड़े की गुणवत्ता के आधार पर एक टोपी की कीमत 500 से शुरू होती है और 15 हजार तक बिकती है। फैज़िल DNN24 को बताया कि “इसी कैप में एक रिसाइकल कैप आती है वो पहले रूस में कोर्ट होती है उसके बाद यहां पर रिसाइकल होकर आती है। उसकी कीमत 500 से 5000 तक होती है। कराकुल खाल से बनी कैप 5 हज़ार से लेकर 20 हज़ार तक बिकती है।
एक सौ साल पुरानी दुकान
श्रीनगर के नवां बाजार में फैज़िल रियाज़ की करीब एक सदी पुरानी कराकुल टोपियों की पुश्तैनी दुकान है, नाम है कश्मीर कैप हाउस। फैज़िल रियाज़ अपने परिवार में इस काम को करने वाली चौथी पीढ़ी है। उनके लिए इन टोपियों को बनाना आसान नहीं था इन्हें बनाने के लिए फैज़िल रियाज़ ने लोगों की पसंद को समझा। सोशल मीडिया के जरिए कराकुली टोपी को मशहूर किया।
फैज़िल DNN24 को बताते है कि पहले ये काम मेरे दादा जी के पिता करते थे उनके इंतकाल के बाद मेरे दादा जी इस काम को करने लगे. और जब मेरे दादाजी का इंतकाल हो गयाउसके इस काम को मैने जारी किया. ये दुकान करीब एक सौ साल पुरानी है. इसका कच्चा माल अफगानिस्तान से आता है. एक टोपी बनाने में पांच से छह घंटे लगते है. ये पूरा हैंडमेट काम है. हमारी बनाई गई टोपियां विदेशों में भी भेजी जाती है. पहले इसमे सिर्फ जिन्ना कैप आता था, इसके बाद हमने इसमे नए पैर्टन लॉच किए जैसे फॉक्स कैप, पकोल कैप . पकोल कैप की बाज़ारों में सबसे ज्यादा डिमांड ह. इस कैप को छोटे से लेकर हर बड़ा इंसान पहनता है।

नए ज़माने के साथ साथ इन टोपियों की मांग कम होती जा रही थी लेकिन फैज़िल रियाज़ ने लोगों की पसंद को समझा और कुछ नए डिजाइन बनाना शुरू किए। आज लोग उनके पास टोपी का डिजाइन लेकर आते है और उनके पसंदीदा पैटर्न को फैज़िल हुबहू तैयार करते है। फैज़िल अलग अलग तरह की कराकुल टोपियां बनाते है।
कश्मीर में है मशहूर
कराकुल टोपियों को कश्मीर की शाही टोपी माना जाता है, ये कश्मीरियों के सम्मान का सिंबल है। फर की गुणवत्ता और बनावट काराकुली को एक बेशकीमती टोपी बनाती है। ये टोपी उन लोगों के लिए एक स्टेटस सिंबल है जो एक सुंदर और ऑफिशियल लुक चाहते हैं। कश्मीरी शादियों में, दुल्हन के घर पहुंचने पर दूल्हे अपनी पगड़ी उतारकर कराकुली टोपी पहन लेते हैं।
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