केरल के मलप्पुरम जिले में रहने वाले दृष्टिहीन शिक्षक नौशाद टी रहमानिया स्कूल में बच्चों को कला और शिल्प सिखाकर उनकी जिंदगी बदल रहे हैं। पिछले 20 सालों से वे स्पेशली एबल्ड चाइल्डस को आत्मनिर्भर बनाने के मिशन पर काम कर रहे हैं। उनकी मेहनत और लगन से कई दृष्टिहीन बच्चों ने कला, शिल्प और विज्ञान में नई-नई स्किल्स सीखी हैं।
नौशाद टी खुद दृष्टिहीन हैं। बचपन में उनके शिक्षकों ने उन्हें सिखाया और आज वे उसी शिक्षा को आगे बढ़ा रहे हैं। उनका कहना है कि स्पेशली एबल्ड चाइल्डस में अनोखी प्रतिभा होती है। वे चीज़ों को जल्दी समझते हैं और बेहतरीन काम करते हैं। नौशाद टी बच्चों को बेकार चीजों से झूले, टेबल, कुर्सियां, कार्टून मेकिंग, पेंटिंग और मिट्टी से मूर्तियां बनाना सिखाते हैं। यहां तक कि पांचवीं कक्षा के बच्चे भी उनकी गाइडेंस में अद्भुत क्राफ्ट्स बना रहे हैं।
10 साल के अजय दृष्टिहीन हैं, लेकिन उन्होंने झूले, टेबल और कुर्सियां बनाना सीख लिया है। अजय कहते हैं कि “मैंने नौशाद सर से बहुत कुछ सीखा है और मैं कार्यक्रमों में हिस्सा लेने को लेकर हमेशा उत्साहित रहते हैं।” विष्णु सुन नहीं सकते हैं लेकिन वह मिट्टी से मूर्तियां बनाने में माहिर हैं। उन्होंने राज्य विद्यालय विज्ञान मेले और कला महोत्सव में कई पुरस्कार जीते हैं। नौशाद टी और उनके जैसे शिक्षक बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने में लगे हैं। उनकी यह कोशिश बच्चों की जिंदगी तो बदल ही रही है, साथ ही समाज में भी एक सकारात्मक उदाहरण पेश कर रही है।
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