संभल, भारत में उत्तर प्रदेश राज्य का एक शहर हैं। इसी से 7 किलोमीटर दूर सम्भल जोया मार्ग में स्थित है ग्राम कल्यानपुर। इस ग्राम की पहचान है ‘त्यागी स्पोर्ट्स स्कूल एवं कन्या गुरुकुल’। आज हम आपको इस स्कूल के कोच ‘आर्य भोले सिंह त्यागी’ (Arya Bhole Singh Tyagi) के बारे मे बताएंगे। भोले सिंह की निगरानी मे यहा पर आए सभी खिलाड़ियों को निशुल्क कुश्ती की ट्रेनिंग दी जाती हैं। सम्भल का यह एकलौता मिट्टी का अखाड़ा हैं। पिछले 40 साल से कुश्ती के खिलाड़ी उनसे प्रशिक्षण लेकर अपने लिए नई पहचान हासिल कर रहे हैं।
भोले सिंह के कुश्ती मे आने की कहानी
सन 1965 में शिवचरन सिंह त्यागी के घर आर्य भोले सिंह त्यागी का जन्म हुआ। उनके पिता शिवचरन त्यागी पहलवान थे। अपने पिता को कुश्ती लड़ते देख भी कुश्ती का शौक हुआ। अपने इसी शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने कुश्ती की ट्रैनिंग अपने चाचा व गुरु ‘हरस्वरूप त्यागी’ के नेतृत्व में शुरू की व कुश्ती के सभी दांव पेच सीखें। इंटरनेशनल कोच ‘ईश्वर दयाल माथुर’ को अपना प्रेरणादायक मानकर उन्होंने कुश्ती के मैदान में उतारने का फैसला किया।
भोले सिंह ने सन 1976 में दिल्ली में आयोजित नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लिया। पिता व चाचा के नाम को आगे बढ़ाने के लिए सन 1980 में ‘त्यागी स्पोर्ट्स स्कूल एवं कन्या गुरुकुल’ की स्थापना हुई। बदलते समय के साथ बहुत से लड़के और लड़कियां ट्रेनिंग लेने दूर-दराज़ के इलाकों से यहा आने लगे। यहां से ट्रेनिंग पाने वाले सैकड़ों बच्चों ने जि़ला स्तरीय, राज्य स्तरीय, राष्ट्रीय स्तरीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लेकर मेडल हासिल किए हैं। आर्य भोले सिंह त्यागी का यह स्कूल लड़के-लड़कियों को निशुल्क प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बना रहा हैं।
खिलाड़ियों ने देश-विदेश मे अपना लोहा मनवाया
त्यागी स्पोर्ट्स स्कूल के निशुल्क होने से बहुत से खिलाड़ी यहां कुश्ती की ट्रैनिंग बिना किसी परेशानी से पूरी कर पाते हैं। अभी तक सैकड़ों बच्चों ने यहा से अपनी शिक्षा पूरी की हैं व जिला स्तरीय, राज्य स्तरीय, राष्ट्रीय स्तरीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लेकर मेडल भी हासिल किए हैं। हर साल भोले सिंह के स्कूल से निकल कर लगभग 5-10 बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर खेलते हैं। अभी तक 1200 खिलाड़ी प्रशिक्षण लेकर इस छेत्र में नौकरी कर रहे हैं।
त्यागी स्पोर्ट्स स्कूल एवं कन्या गुरुकुल की पाँच लड़कियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया हैं। रश्मि त्यागी, रजनी चाहल, भारती बघेल, पायल शर्मा ने पदक पाकर त्यागी स्पोर्ट्स स्कूल, आर्य भोले सिंह त्यागी और सम्भल का नाम देश-विदेश में रोशन किया हैं। भोले सिंह त्यागी की छत्रछाया खिलाड़ियों पर ऐसा प्रभाव डालती है कि वह एक नए जज्बे के साथ अपनी काबिलियत को उभार पाते हैं।
भोले सिंह का लक्ष्य
पहलवानों को फ्री प्रशिक्षण देकर भोले सिंह ने कुश्ती को नई ऊंचाइयों पर पहुचाया हैं। कुश्ती के प्रशिक्षणार्थी खिलाड़ियों ने भी अपने जज्बे और काबिलियत का प्रदर्शन किया हैं. उनका सपना है कि उनका कोई भी शिष्य ओलंपिक में भाग ले और पदक हासिल करे।
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