कुरूक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव (International Gita Mahotsav) का आगाज़ हो चुका है। यह महोतसव 17 से 24 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है। पुरुषोत्तमपुरा बाग (Purushottam Pura Bagh) में निशार अहमद की टीम हरियाणवी संस्कृति को प्रदर्शीत कर रहे है। जो 1987 से तीन पीढ़ियों से हरियाणवी संसकृति को संजोने का कार्य कर रहे है।
इस साल अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव (International Gita Mahotsav, Kurukshetra) में काफी मुस्लिम शिल्पकारों ने भी शिरकत की है, जो राष्ट्रीय अवॉर्ड से भी सम्मानित किए जा चुके है और पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी कला को संजोए हुए है। बता दें कि इस महोत्सव में शिल्पकार दूर दराज से यहां आते है और अपनी कला का प्रदर्शन करते है। ऐसे ही एक कलाकार है निसार अहमद जो जम्मू कश्मीर के रहने वाले है, जिनका पशमीना कानी शॉल (Kani Pashmina Shawls) बनाने का बिजनेस है। कानी शॉल को बनाने के लिए छह महीने का समय लगता है। निसार अहमद खान ने कानी शाल के अलावा लोई, कम्बल, सूट, फैरन आदि उत्पादों को कुरुक्षेत्र और आस-पास के पर्यटकों के लिए रखा है।
ऐसे ही एक कलाकार है मोहम्मद इमरान जो सहारनपुर यूपी के रहने वाले है। इमरान खराब लकड़ी से पोट बनाकर कारविंग की शिल्पकला करते है। वो अपने साथ लकड़ी का बना साजो -सजावट का सामान लेकर आए है। यह सारा सामान नीम, शीशम व टीक की लकड़ी से बनाते है और इसको बनाने में कम से कम 2 से 4 दिन का समय लगता है।
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