खेती-किसानी के बाद देश के ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था सबसे ज़्यादा पशुपालन पर निर्भर है। गांवों में किसान अच्छा मुनाफा कमाने के लिए गाय पालन, भेड़ पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन करते आ रहे हैं। इन सबके अलावा किसानों के बीच सुअर पालन भी काफी लोकप्रिय व्यवसाय है, क्योंकि सुअर पालन में सबसे तेजी से मुनाफा होता है। भारत के नॉर्थ ईस्ट स्टेट में पिग फार्मिंग बिजनेस तेज़ी से बढ़ रहा है। असम की रहने वाली 18 साल की नम्रता बी.ए की पढ़ाई कर रही हैं, पढ़ाई के साथ-साथ सुअर पालन का बिजनेस करती हैं, जिससे वो लाखों रूपये कमा रही है।
कैसे की नम्रता ने पिग फार्मिंग बिजनेस की शुरूआत
नॉर्थ ईस्ट स्टेट में पिग फार्मिंग बिजनेस बढ़ने की वजह है कि किसानों के पास पिग फार्मिंग से संबंधित सभी जानकारियां हैं। ख़ासतौर पर सुअर का खानपान, स्वास्थ और इनके बीच फैलने वाली बीमारी और उसके इलाज जानकारी है। अगर किसानों के पास अगर सारी जानकारी है तो सुअर पालन आराम से किया जाता है। सुअर पालन साइंटीफिक तरीके से किया जाए तो एक सुअर से एक लाख रूपये से ज्यादा की कमाई की जा सकती है। ऐसा साबित किया है गुवाहाटी से करीब चालीस किलोमीटर दूर रानी नाम के एक छोटे से कस्बे में नम्रता ने, जो लाखों रूपये कमा रही हैं।
नम्रता रोज़ एक ख़ास ड्रेस पहनकर घर के पीछे बने सुअर फार्म का रखरखाव करती है। सुअरों के करीब आने से पहले वो अपने जूतों को केमिकल मिले पानी से साफ करती है, जिससे जूतों में लगे सारे कीटाणु मर जाए और सुअरों को किसी बीमारी का खतरा ना हो।

DNN24 से बात करते हुए नम्रता बताती है कि जब उनका कॉलेज नहीं होता तब वो बकरियों को खाना खिलाती हैं, उसके बाद सुअरों को नहलाती हैं, उनको खाना देती हूं। उन्होंने आगे बताया कि इस काम में उनके पिता भी पूरा साथ देते हैं। नम्रता सरकारी नौकरी करना चाहती हैं लेकिन वो ये भी जानती हैं कि सरकारी नौकरी करना इतना आसान काम नहीं है, इसलिए वो पढ़ाई के साथ-साथ पशुपालन में कुछ बड़ा करने का सपना रखती हैं। नम्रता के पिता कहते हैं कि नौकरी के पीछे भागना अच्छा नहीं है। पहले इंसान पढ़ेगा लिखेगा उसके बाद नौकरी करेगा। नौकरी से वो सरकारी नौकर बन जाएगा, लेकिन मैंने ये सोचा कि वो अपने काम का मालिक अपने बिजनेस से भी हो सकता है।
नम्रता की मदद के लिए आगे आया रसर्च सेंटर ऑन पिग
सुअर पालन को आगे बढ़ाने में नम्रता की मदद नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन पिग (NCRP) कर रहा है। ये देशभर में अपनी तरह का इकलौता सेंटर है। सेंटर के वैज्ञानिक नम्रता के गांव में जब आए तो उन्होंने नम्रता के अंदर के हुनर को भांप लिया और उसकी हर तरह से मदद करने में जुट गए। इसके बाद में वैज्ञानिक नम्रता को सेंटर में लेकर आए और उसे सुअर पालन से संबंधित हर तरह की ट्रेनिंग दी, जिसके बाद नम्रता को सुअर पालन में काफी मदद मिली। आज वो अपने पिता के व्यवसाय को साइंटीफिक तरीके से आगे बढ़ा रही हैं। यही वजह है जब कोविड महामारी के बाद सुअरों के बीच अफ्रीकन स्वाइन फीवर फैला तब भी नम्रता के सुअर इस बीमारी से सेफ थे।

NCRP के डायरेक्टर वी.के गुप्ता कहते हैं कि ये एक प्रेरणादायक विषय है। मैंने देखा है कि हमारे ट्राइबल क्षेत्रों में सुअरों को लेकर कई कार्यक्रम चल रहे हैं। नम्रता ने एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है जिससे अब और लोग भी इस व्यवसाय से जुड़ रहे है। हमने उन लोगों के लिए भी प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है, जिससे दूसरे लोग भी आगे बढ़ सकें।
पिछले साल नम्रता ने कमाएं थे दो लाख
नम्रता के पास दो सुअर है एक मादा है जो एक साल में दो बार यानी 12-12 कुल 24 बच्चों को जन्म देती है। दूसरी मादा से भी 24 बच्चें मिलते हैं। इस तरह एक साल में दो मादा सुअरों से कुल 48 बच्चें पैदा होते हैं। एक सुअर की कीमत बाज़ार में करीब चार हजार है। इस तरह एक पिग को बेचकर लाखों रूपये की कमाई हो जाती है। पिछले साल नम्रता ने दो लाख रूपये की कमाई की थी। नम्रता अपने भविष्य में प्रोफेशनल और सफल पिग फार्मर के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहती है। नम्रता की सफलता को देख इलाके के लोग पिग फार्मिंग के व्यवसाय में आगे आ रहे हैं।
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