कश्मीर में अखरोट की लकड़ी पर कारीगरी (Kashmir Wooden Art on Walnuts) करने की कला काफी लोकप्रिय है। यहां अखरोट की लकड़ी पर खूबसूरत डिज़ाइन बनाए जाते है। यह कला कई दशकों से चली आ रही है। इस दस्तकारी से तरह तरह की नायाब चीज़ें बनाई जाती हैं, जो क़ुदरत की ख़ूबसूरती को दर्शाती है। South Kashmir के Pulwama district में Wood Carving Center की शुरुआत की गई। इस हुनर को सीखने के लिए लड़कियां बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं और नक़्क़ाशी को अपना पेशा बना रही हैं।

वुड कार्विंग सेंटर लड़कियों को कैसे दे रहा है फायदा
South Kashmir के Pulwama district में wood carving center की शुरूआत से यहां की लड़कियों को काफी फायदा मिल रहा है। Kashmir Directorate of Handicrafts & Handloom के असिस्टेंट डायरेक्टर मोहम्मद यासीन भट्ट ने DNN24 को बताया कि “पुलवामा में कुल 24 ट्रेनिंग सेंटर है और हर सेंटर में 20 लड़कियां है। इस कला को सीखने के लिए हमारा कोर्स है जो एक साल का भी है और दो साल का भी। जब हमारे पास कोई लड़की सीखने के लिए आती है तो सबसे पहले हम ट्रेनर को अपने डिपार्टमेंट से रजिस्टर करते है। यहां वो लड़कियां सीखने आती है, जिनकी तालीम छूट गई है या जिसने पढ़ लिख कर डिग्री हासिल की लेकिन नौकरी न मिल सकी। तो हमारे इस प्रोग्राम का लक्ष्य यही है कि हम लड़कियों को जोड़े और उन्हें आत्मनिर्भर बनाए।”

सेंटर में इस कला को सीख रही लड़कियों का क्या है कहना
वुड कार्विंग सेंटर की ट्रेनी शाइस्ता सबीर ने Dnn24 को बताया कि “सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक ट्रेनिंग चलती है। इस दस्तकारी सीखने के लिए सरकार 1000 रुपये stipend भी दे रही है। इसमें हम मुख़्तलिफ़ किस्म की नक्क़ाशीदार चीज़ें तैयार करते है। हम हैंडिक्राफ्ट डिपार्टमेंट के बहुत शुक्रगुज़ार है कि उन्होंने यहां सेंटर खोला पहले ये काम ज्यादातर लड़के करते थे लेकिन अब लड़कियां भी कर रही है। हमारे टीचर इस आर्ट को बहुत अच्छे से सीखाते है। इस आर्ट से हमे बहुत फायदे मिले है।”

ट्रेनी निशा मक़बूल कहती है कि “इस आर्ट को सीखना हमारे लिए फायदेमंद है। इस दौर में बेरोज़गारी बढ़ चुकी है। ऐसे बहुत से लोग है जिन्होंने लॉ की पढ़ाई की है, पीएचडी की है इतना पढ़ने के बावजूद लोगों के पास नौकरी नहीं है, इसलिए हम बहुत खुश है कि सरकार ने हमारे लिए इस सेंटर को खोला। हम पूरा दिन घर पर बैठा करते थे। यहां हम अलग अलग तरह के डिज़ाइन सीखते है जैसे फूल, पत्ती और किसी का नाम बनाते है बाकी जिस चीज की डिमांड की जाती है कि वहीं डिज़ाइन बनाया जाता है।”
अखरोट की लकड़ी पर सबसे पहले किसने की नक्काशी
कश्मीर दुनिया की बेहतरीन अखरोट की लकड़ी का घर है। अखरोट की लकड़ी काफ़ी मज़बूत होने के साथ-साथ लंबे वक़्त तक चलती है। पॉलिश करने के बाद लकड़ी देखने में और भी ख़ूबसूरत लगती है। ऐसा माना जाता है कि, 15वीं सदी में ज़ैन-उल-अबिदीन के शासन के दौरान, शेख हमज़ा मख़दूम कश्मीर में अखरोट की लकड़ी की नक्काशी लाए थे, जिसका मक़सद घाटी की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना था।
अखरोट का पेड़ जिसे स्थानीय भाषा में “दून कुल” कहा जाता है। जिसकी खूबसूरत लकड़ी पर नक्काशी की जाती है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक पेड़ को करीब 300 साल तक होने पर ही काटा जाता है। श्रीनगर लकड़ी पर नक्काशी कला का केंद्र है। अखरोट की लकड़ी पर नक्काशी करने के लिए बारीक छेनी और लकड़ी के हथौड़े का इस्तेमाल किया जाता है। सूक्ष्मता से बढ़ाने से पहले लकड़ी पर सरल डिजाइन उकेरा जाता है। फर्नीचर और अन्य नाजुक चीजों की नक्काशी एक जटिल और पेचीदा प्रक्रिया है जिसके लिए अच्छी विशेषज्ञता और पारंपरिक कारीगरी की आवश्यकता होती है।
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