कोलकाता में दुर्गा पूजा का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, जहां हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग मिलकर तैयारियां करते हैं। दुर्गा मां की मूर्तियां बनाने वाले नूर मोहम्मद जैसे कई मुस्लिम कारीगर हैं, जो पूरे साल इस काम में जुटे रहते हैं। इस पर्व में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग एक साथ मिलकर काम करते हैं। मुस्लिम कारीगर दुर्गा मां की मूर्तियों बनाते हैं और दुकानों की सजावट में मदद करते हैं। दुर्गा पूजा के पंडाल बेहद सुंदर सजाए जाते हैं, जिनमें रंग-बिरंगे बल्ब, फूल और मूर्तियां लगाई जाती हैं। इस त्योहार के दौरान लाजवाब व्यंजन तैयार किए जाते हैं, जिनका लोग खूब आनंद लेते हैं। मेले में तरह-तरह के खिलौने और सामान मिलते हैं, जो बच्चों को बहुत पसंद आते हैं। दुर्गा पूजा सिर्फ़ एक त्योहार नहीं, बल्कि ये एकता और भाईचारे का प्रतीक है, जो हमें मिल-जुलकर रहने का पाठ सिखाता है।
अब दुर्गा पूजा शुरू होने में बस चंद रोज़ बाकी है। आगामी 9 अक्टूबर, बुधवार से ‘दुर्गा पूजा उत्सव’ विधिवत शुरू होगा। पहले दिन का उत्सव ‘महा षष्ठी’ कहलाता है। इसके बाद 10 अक्टूबर को ‘महासप्तमी’, 11 अक्टूबर को ‘महा अष्टमी’ और 12 अक्टूबर, शनिवार को ‘महानवमी’ होगी। ‘महानवमी’ दुर्गा पूजा का अंतिम दिन है, जिसके बाद 13 अक्टूबर को विजयदशमी मनाई जाएगी।
इस बार श्रद्धालुओं में काफ़ी उत्साह है। पूजा पंडालों में काम करने वाले मज़दूरों का भी जोश दोगुना हो गया है। कोई पंडालों की सजावट में व्यस्त है, तो कोई रंग-बिरंगी रोशनी की तैयारी में जुटा है। कोई गोलगप्पे बेचने के लिए अपनी दुकान सजा रहा है, तो कोई गुब्बारे। इस महोत्सव में मुस्लिम समुदाय की भागीदारी भी महत्वपूर्ण है। जावेद का कहना है, “हम कब से दुर्गा पूजा का इंतजार कर रहे हैं।” इसका समर्थन करते हुए कुर्बान कहते हैं, “इस बार अल्लाह से दुआ है कि बारिश न हो, वरना हमारा नुकसान हो जाएगा।” ये दोनों दुर्गा पूजा के दौरान छोटी-छोटी दुकानें लगाते हैं, एक खिलौनों की और दूसरा गुब्बारों की।
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