जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के केहरीबल गांव से ताल्लुक रखने वाली फ़िरदौसा बशीर एक कैलीग्राफ़ी आर्टिस्ट हैं। बचपन से ही फ़िरदौसा को कैलीग्राफ़ी का शौक था, लेकिन उन्हें अंदाज़ा नहीं था कि उनकी कला एक दिन कश्मीर से बाहर पूरे भारत में भी पहचान बनाएगी। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “मन की बात” कार्यक्रम में उनकी तारीफ़ की, जिससे उनकी कला को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली। फ़िरदौसा को हाल ही में चरार-ए-शरीफ़ में जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति और भाषा अकादमी द्वारा आयोजित एक कैलीग्राफ़ी कार्यशाला में आमंत्रित किया गया था, जहां पीएम मोदी द्वारा उनका ज़िक्र होने की सूचना मिली।
आर्थिक तंगी को जीत लिया फ़िरदौसा बशीर ने
प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के दो कलाकारों का ज़िक्र किया—एक अनंतनाग की फ़िरदौसा बशीर, जो कैलीग्राफ़ी के ज़रिए कश्मीर की संस्कृति को लोगों तक पहुंचा रही हैं, और दूसरे उधमपुर के सारंगी वादक गोरीनाथ, जो स्थानीय संस्कृति को संगीत के जरिए लोकप्रिय बना रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “फ़िरदौसा बशीर की कला ख़ासतौर से युवाओं को आकर्षित कर रही है और उनके ज़रिए स्थानीय संस्कृति को आगे बढ़ाने में यह अहम भूमिका निभा रही है।”
फ़िरदौसा ने बारहवीं तक पढ़ाई की है। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण फ़िरदौसा आगे की पढ़ाई नहीं कर सकीं, लेकिन उन्होंने इसे अपनी कमज़ोरी नहीं बनने दिया। उन्होंने काली स्याही और लकड़ी को कलम बनाकर कैलीग्राफ़ी करना जारी रखा। फ़िरदौसा का कहना है कि उनके पास मोबाइल फोन नहीं था, इसलिए उन्होने खुद से ही यह कला सीखी। आज फ़िरदौसा बाग-ए-नौगाम के इस्लामी शिक्षण संस्थान तहरीक-ए-सौतुल अवलिया से आलिमा कोर्स कर रही हैं। उनका सपना है कि वह एक अच्छी कैलीग्राफ़ी आर्टिस्ट बने।
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