कश्मीर का एक मशहूर हाथ से बना शिल्प, विलो विकर, अब दुनिया भर में लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। इस शिल्प में विलो की टहनियों से ख़ूबसूरत टोकरियां, बक्से और भी बहुत कुछ बनाया जाता है। पहले ये शिल्प सिर्फ़ कश्मीर में ही फेमस था, लेकिन अब इसे नए और आधुनिक डिज़ाइनों के साथ बनाया जा रहा है। इन नए डिज़ाइनों में चमड़े के हैंडल और ज़िप जैसी चीज़ें भी शामिल हैं, जिससे ये और भी आकर्षक हो गए हैं। नए डिज़ाइनों की वजह से ये शिल्प अब सिर्फ़ उपयोगी ही नहीं, बल्कि देखने में भी बहुत सुंदर लगता है। इस शिल्प को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडेक्ट (ODOP) में शामिल किया गया और साथ ही जी-20 सम्मेलन में इस शिल्प को प्रदर्शित किया गया, जिससे इसे दुनिया भर में पहचान मिली।

बशीर अहमद डार ने DNN24 से बात करते हुए कहा कि, इस शिल्प से जुड़े कारीगरों को अब पहले से कहीं ज़्यादा काम मिल रहा है और वह अच्छी कमाई कर रहे हैं। युवा पीढ़ी भी इस शिल्प में रुचि ले रही है और इसे आगे बढ़ाने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रही है। कश्मीर के कारीगर नए-नए डिजाइन बना रहे हैं और इन उत्पादों को देश के अलग-अलग हिस्सों के साथ-साथ विदेशों में भी बेचा जा रहा है। सरकार भी इस शिल्प को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की मदद कर रही है।

नए डिज़ाइनों ने दुनिया भर में कश्मीर के विलो विकर शिल्प को नया जीवन दिया है बशीर तरह-तरह की टोकरियां, जैसे फलों की, ब्रेड की, पिकनिक के लिए, बिल्ली और फूलों के लिए टोकरियाँ, लैंप शेड तैयार करते हैं। बशीर के पूर्वज विलो विकर शिल्प से जुड़े थे और वह पिछले 35 साल से विलो विकर वस्तुओं की बुनाई करके इसे आगे बढ़ा रहे हैं। अगर हम इस नायाब अंदाज़ में तैयार प्रोडेक्ट की क़ीमत की बात करें तो बशीर अहमद ने बताया कि इनकी क़ीमत 100 रूपये से लेकर 20,000 रूपये तक है। बशीर अहमद विलो विकर शिल्प में माहिर हैं और 150 से ज़्यादा नए डिज़ाइन पर काम कर रहे हैं।

यह शिल्प कश्मीर की संस्कृति और परंपरा का एक हिस्सा है। इस शिल्प से हज़ारों लोगों को रोज़गार मिल रहा है। बशीर ने आगे बताया कि, इस शिल्प के विकास से कश्मीर की अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिलेगी। कश्मीरी विलो विकर शिल्प दुनिया भर में और भी मशहूर होगा और कश्मीर के लोगों के लिए एक बड़ा रोज़गार का ज़रिया बनेगा।
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