कश्मीर का नाम सुनते ही आपको या तो सुंदर पहाड़ याद आएंगे या कश्मीरी कहवा, पर हम इन दोनों में से किसी के बारे में बात नहीं कर रहे. हम बात कर रहे हैं कश्मीरी केसर की। ये कुदरत की एक ऐसी शानदार नियामत है जो बेमिसाल है। जी हां, कश्मीर का केसर भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में मशहूर है। कश्मीर में केसर “कोंग” के नाम से भी जाना जाता है । जम्मू कश्मीर में इस साल केसर की बंपर पैदावार हुई है। 30 फ़ीसदी तक की बढ़ोतरी देखी जा रही है। ऐसा लग रहा है मानों ज़मीं ने जामुनी चुनर ओढ़ ली हो।
इन दिनों श्रीनगर से 17 किमी दूर बसा पंपोर, केसर के फूलों की महक से खिल उठा है। यहां केसर के फूलों की खुशबू हवा में फैली हुई है, जो कश्मीर आए सैलानियों को अपनी ओर खींच लेती है। केसर की खेती का 86 फ़ीसदी इलाका पुलवामा ज़िले के पम्पोर क्षेत्र का है। पुलवामा District के पंपोर इलाके में करीब 226 गांवों के 30,000 परिवार केसर उत्पादन से जुड़े हुए हैं। Autumn के सीज़न में इसके फूल, पूरी valley में अपने पर्पल रंग में अलग ही दमकते हैं। ये टुरिस्ट के लिए एक Attraction Point बन जाता है। हर बार नवंबर की शुरुआत होते-होते केसर की फसल पूरे यौवन पर होती है।
सूरज उगने के साथ ही बड़ी ही सावधानी से फूलों को हाथ से तोड़ा जाता है और बाद में stigma यानि की केसर को सुखा कर Packaging के लिए भेज दिया जाता है।
कश्मीरी केसर को GI टैग मिला हुआ है, जो इसकी इंटरनैशनल पकड़ को और मज़बूत करता है। इसका फायदा स्थानीय केसर उत्पादकों को हो रहा है। अब देश के कई राज्यों में ही कश्मीरी केसर की मांग नहीं बढ़ रही, बल्कि विदेश में भी इसके खरीदार बढ़ रहे हैं।
सरकार ने हाल ही में India International Kashmir Saffron Trading Centre, Pampore में खोला है । उम्मीद है कि केसर का Production और ज़्यादा बढ़ेगा साथ ही केसर उत्पादक किसानों के चेहरों पर ऐसी ही मुस्कान खिलती रहेगी..