ग्वालियर के रहने वाले 60 साल शंभू सोनी (Shambhu Soni) हिंदू सूफ़ी गायक और डफली वादक है। वो अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह (Dargah of Khwaja Moinuddin Chishti, Ajmer) पर रोज दो घंटे कव्वाली पेश करते हैं। शंभू सोनी का ख्वाजा गरीब नवाज में सच्चा विश्वास है। सूफी कव्वालियों की उनकी प्रस्तुति सभी धर्मों के भक्तों को प्रभावित करती है।
शंभू ने आवाज द वॉइस से बात करते हुए कहा कि “30 साल की उम्र में मैंने भारत के सबसे सम्मानित सूफी संतों में से एक ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह जाने का निर्णय लिया।” दरगाह के संरक्षकों ने भी दरगाह के आध्यात्मिक माहौल में शंभू सोनी के योगदान को स्वीकार किया है और उसकी सराहना की है।
शंभू सोनी के अलावा, उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले मुस्लिम गायक नौशाद अली (Naushad Ali) पेशे से प्रॉपर्टी डीलर है। वो शाहजहां मस्जिद मैदान में देशभक्ति और सार्वभौमिक भाईचारे के गीत पेश करते हैं। उनका संगीत भक्तों के बीच गूंजता है और वो भी शांति और सद्भाव के संदेश पर जोर देते हैं।
नौशाद को वहां से जो भी ‘नजराना’ (धन) मिलता है उसे वो ज़रूरतमंदों के बीच वितरित करते हैं। अक्सर मतभेदों से विभाजित दुनिया में, शंभू सोनी और नौशाद अली (Shambhu Soni and Naushad Ali) की कहानियां सामंजस्यपूर्ण और समावेशी भविष्य के लिए आशा और प्रेरणा की किरण के रूप में काम करती हैं।
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