हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ गालिब, नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते… मिर्ज़ा ग़ालिब का लिखा इस शेर की जीती जागती मिसाल है आमिर हुसैन लोन (Amir Hussain Lone)। आज आमिर जाना माना नाम बन चुके है, उनके काम को सचिन तेंदुलकर, गौतम अडानी ही नहीं पूरी दुनिया उनके जज़्बे को सलाम कर रही है। जिनके ऊपर एक फिल्म भी बनने जा रही है। 34 साल के आमिर जम्मू-कश्मीर के पैरा क्रिक्रेट टीम के कैप्टन (Captain, Jammu and Kashmir para-cricket team) हैं।
आमिर कंधे और सिर के सहारे बल्लेबाज़ी करते है। आठ साल की उम्र में एक हादसे में उन्होंने अपने दोनों हाथ गवां दिए लेकिन सपने देखना और उन्हें पूरा करना कभी नहीं छोड़ा। अपने सफर में आई हर मुश्किल का डट कर सामना किया।
आरा मशीन से कटे दोनों हाथ
आमिर हुसैन लोन ने DNN24 को बताया कि क्रिकेट का शौक उन्हें बचपन से ही था उनके मां-बाप का सपना था कि वो क्रिकेटर बने लेकिन उनके साथ हुए हादसे के बाद इसे पूरा करना नामुमकिन था। एक दिन उनकी मां ने उन्हे भाई को खाना देने के लिए भेजा। खाना देने के बाद वह खेलने लगे खेलते-खेलते आरा मशीन के पहिए में उनकी जैकेट फंस गई खुद का बचाव करते हुए उनके दोनों हाथ मशाीन में आकर कट गए।

आमिर को उठाकर किसी घर में रखा गया। वहां आस पास वाले लोगों का कहना था कि यह मर चुका है, इसे दफन कर दो, इसको यहां मत रखो, वरना हमारे खिलाफ केस हो जाएगा। कुछ समय बाद एक औरत आई और उन्हे गाड़ी में बैठाया लेकिन आधे रास्ते में ही दोनों को गाड़ी के ड्राइवर ने नीचे उतार दिया। उस दौरान गाड़ी के पीछे आ रही भारतीय सेना ने आमिर की मदद की और घर तक पहुंचाया। उनके दोनों हाथों को एक डिब्बे में बंद करके परिवार को दिए गए। जो पूरी तरह टूट चुके थे। यह मंज़र देखकर उनका परिवार बिखर चुका था।
दादी ने पूरी की हाथों कमी
आमिर के इलाज में घर का सारा पैसा खत्म हो चुका था आसपास के लोगों का कहना था कि आमिर के इलाज में पैसा खर्च न करके इसे ज़हर देकर मार दो, अब यह किसी काम के लायक नहीं है। लेकिन आमिर की दादी ने उनका साथ दिया और कहा कि जब तक वह जिंदा है तब तक वह आमिर को हाथों की कमी महसूस नहीं होने देगी। आमिर कहते है कि “एक दिन मुझे स्कूल से निकाल दिया गया था। जब दादी जी को यह पता चला तो उन्होंने मुझसे कहा कि अपने टीचर को कहना कि मैं आगे पढ़ना चाहता हूं ज़िंदगी में कुछ करना चाहता हूं उसके बाद वह तुमसे कुछ नहीं कहेंगी और ऐसा ही हुआ।”

हादसे के बाद अगर आमिर बाहर खेलने जाते तो लोग उन्हें गोद में उठाकर उछाला करते थे जो उन्हे बिल्कुल पसंद नहीं था इसलिए आमिर की दादी के साथ घर में क्रिकेट की प्रेक्टिस किया करता थे। आमिर कहते है कि “जब तक वह थी तब तक उन्होंने मुझे अपने हाथों की कमी महसूस नहीं होने दी। 2010 में दादी जी का इंतकाल हो गया। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि वो इस दुनिया से जा चुकी हैं। एक दिन मुझे कपड़े पहनने थे मैं कपड़े उठा कर उनके मज़ार पर लेकर गया और उनसे कहने लगा कि मुझे कपड़े पहना दो लेकिन सामने से मुझे कोई जवाब नहीं मिला उस दिन मुझे यकीन हुआ कि वो मुझे छोड़ कर जा चुकी है।”
“मुझे सबसे मुश्किल काम पेंट पहनना लगता था लेकिन अब नहीं लगता। मैं आज अपने सारे काम खुद करता हूं, मुझे कोई चीज मुश्किल नहीं लगती। मैं आज जो कुछ हूं सिर्फ अपनी दादी जी की वजह से हूं“
स्कूल जाते वक्त टूटा पैंट का बटन
जब आमिर आठवीं कक्षा पास करके हायर सेकेंडरी में आए तो उनका स्कूल घर से 4 से 5 किलोमीटर दूर था। उन्हें सुबह 10 बजे तक पहुंचना होता और साढ़े सात बजे घर से निकलते। एक दिन स्कूल जाते वक्त आधे रास्ते में ही उनकी पैंट का बटन टूट गया, उन्होने लोगों से मदद मांगी लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। आमिर पूरी तरह नंगे थे। घर वापस जाने के लिए उन्होंने रात होने का इंतजार किया और अंधेरे रास्तों से जैसे तैसे घर पहुंचे उनके पूरे शरीर पर कीचड़ लग चुकी थी।
अखरोट बेचकर खरीदी कलम
एक दिन आमिर की क्लास में एक टीचर आए जब उन्होंने पढ़ाना शुरू किया तो आमिर के बगल में बैठे एक स्टूडेंट ने टीचर से कहा कि सर आमिर को लिख कर दीजिए टीचर का जवाब था कि मैं उसका नौकर नहीं हूं। टीचर की ये बात आमिर के ज़हन में बैठ गई। वह सोचने लगे कि कैसे लिखे क्योंकि उनके पास तो कलम भी नहीं है।
कलम खरीदने के लिए वह अपने माता-पिता से नहीं बोल सकते थे क्योंकि एक्सीडेंट के बाद परिवार के आर्थिक हालात बद से बत्तर हो चुके थे। एक दिन शाम में वह घूमने के लिए निकले उन्होने देखा कि एक आदमी पेड़ से अखरोट तोड़ रहा है। आमिर ने उनसे कुछ अखरोट मांगे लेकिन उस आदमी ने सिर्फ एक या दो अखरोट देने के लिए कहा। तब उन्होंने उनसे एक छड़ी मांगी छड़ी को अपने पैर में उठाया और अखरोट के पेड़ पर मारा। छड़ी मारते ही 10 से 15 अखरोट नीचे गिर गए। उन्होंने एक पॉलिथीन में अखरोट डाले और एक दुकान वाले के पास ले गए और उससे कहा कि अगर वो यह सारे अखरोट दे तो कितने पैसे आएंगे? दुकान वाले ने कहा कि पांच रूपये लेकिन तुम क्या खाओगे? उन्होंने दुकान वाले से एक कलम मांगी।
बत्तख को देखकर सीखा तैरना
हादसे के बाद आमिर हुसैन लोन का ऐसा समय आया जब वह अकेले हो गए। तब वह बच्चों को देखने के लिए नदी किनारे जाया करते थे। बच्चों को देखकर उनका भी मन तैरने के लिए करता। एक बार तैरने के लिए आमिर नदी में कूद गए और डूबने लगे। आस पास खेल रहे बच्चें यह देखकर चिल्लाने लगे। तब पास में बैठी एक औरत ने आमिर को बचाया।
आमिर कहते है कि “एक दिन मेरे स्कूल की छुट्टी थी और उस दिन दादी घर पर नहीं थी। मैं बच्चों को देखने के लिए नदी के पास गया लेकिन वहां कोई नहीं था। मैं चुपचाप बैठकर कुछ सोच रहा था तभी मेरी नज़र एक बत्तख पर पड़ी जो तैर रही थी। मैं उसे गौर से देख रहा था वो पानी को पीछे की ओर धकेल रही थी। मैंने सोचा कि इसके पास तो हाथ नहीं है तो यह कैसे तैर रही है। मैं भी ऐसा ही करता हूं। धीरे-धीरे प्रैक्टिस करते हुए मैने तैरना सीख लिया।”
पड़ोस की खिड़की के सुराग से देखा क्रिकेट मैच
एक दिन इंडिया का मैच था और सचिन तेंदुलकर खेलने वाले थे। उन दिनों आमिर के घर टीवी नहीं था इसलिए वह पड़ोसी के घर टीवी देखने के लिए गए जैसे ही वह बैठे तो टीवी बंद कर दिया गया और उन्हे बाहर जाने के लिए कहा। आमिर को सचिन तेंदुलकर को खेलते हुए देखने का मन था वो सोच रहे थे कि अब क्या करे? उस घर पीछे एक खिड़की थी जिसमे एक सुराग था। उस सुराग के बीच में से आमिर ने सचिन तेंदुलकर को देखा।

“सचिन सर का मैं बचपन से फैन हूं वो मेरे आइडल रहे है। अल्लाह ने चाहा तो जल्द मुलाकात होगी। 2017 में उन्होंने मुझे बैट और टीशर्ट भेजी थी जिसपर उनका ऑटोग्राफ है। इसके लिए मैं उनका शुक्रिया अदा करता हूं।”
टीचर ने पहचाना आमिर हुसैन लोन का हुनर
साल 2013 था आमिर के कॉलेज में स्टूडेंट्स क्रिकेट खेला करते थे एक दिन वह उनके पास जाकर खड़े हो गए। तब वहां बैठे एक कोच ने आमिर से खेलने के लिए पूछा उन्होने ‘हां’ कहा। उस वक्त कुछ लड़कों ने उन्हे देखकर कहा कि लेदर की बॉल है इसे चोट लग जाएगी, दूसरे ने कहा थोड़ा धीरे से डालना। लेकिन जब उन्होंने खेलना शुरू किया तो सब हैरान हो गए। तब लड़कों ने उन्हे हर तरह की बॉल फेकी। आमिर का क्रिकेट देखने के बाद कोच ने कहा कि “पैरा क्रिकेट का कैंप होने वाला है आप कोशिश कर सकते है और मुझे उम्मीद है कि आप सिलेक्ट हो जाओगे।” आमिर ने उनकी बात मानी और शामिल हुए। वक्त और उम्मीद ने आमिर का साथ दिया और उनकी टीम जीती और उन्हे पैरा क्रिकेट टीम में बतौर कैप्टन बनाया गया।
2013 के बाद उन्होने लखनऊ, मुंबई, केरल, कोलकाता, गोवा, गुजरात, हैदराबाद में क्रिकेट खेला और 2017 में पहला इंटरनेशनल मैच बंगलादेश में खेला। आमिर हुसैन लोन जहां गए उन्हे लोगों ने बहुत प्यार दिया।
टीवी शो पर विकी कौशल ने क्या कहा
आमिर हुसैन लोन का मानना है कि वो जब मुंबई खेलने गए तब किसी ने उन्हें देखा और उसके बाद उन्हें अनुमलिक साहब का फोन आया। उन्हें एक टीवी शो पर बुलाया गया साथ ही उनकी लाइफ स्टोरी शो पर दिखाई गई। आमिर कहते है कि “उस शो में विक्की कौशल भी थे उन्होंने कहा कि आपने मेरे लिए एक प्रोब्लम सॉल्व कर दी है मैंने बहुत इंटरव्यू दिए है और आजकल मुझे बहुत पूछा जाता है कि अगर इंडियन क्रिकेटर पर बायोपिक बने तो आप किस पर बायोपिक बनाने चाहेंगे मुझे आज मेरा जवाब मिल गया है।”
आमिर हुसैन लोन अपने यहां तक के सफर के लिए आमिर अल्लाह का शुक्रिया करते है। वह कहते है कि आने वाले समय में मेरे कुछ प्लान नहीं है क्योंकि आने वाले कल का तय होना हमारे हाथों में नहीं होता।
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