केरल के मलप्पुरम ज़िले के मंजेरी नगर में रहने वाले अजीश मंजेरी कला की दुनिया में एक बेहतरीन उदाहरण हैं, जो यह साबित करते हैं कि ‘कला कोई सीमा नहीं जानती’। अजीश ने बचपन में ही भरतनाट्यम में रुचि दिखाई और इसे सीखना शुरू किया। केरल में होने वाले युवा उत्सव जैसे आयोजनों ने उन्हें अपनी कला को आगे बढ़ाने और उसे निखारने का मौक़ा दिया।
अजीश की दादी ने उन्हें अपनी करीबी दोस्त की बेटी के पास भेजा जो एक नृत्य शिक्षिका थीं। इसके बाद, अजीश ने दसवीं कक्षा के बाद नृत्य को पेशे के रूप में अपनाने का फैसला किया। उन्होंने चेन्नई जाकर कलाक्षेत्र में नृत्य की डिग्री हासिल की और वहां सात साल का कोर्स पूरा किया। इसके बाद, वह 12 साल तक रुक्मिणी देवी अरुंडेल संस्थान में शिक्षक के रूप में जुड़े रहे। अजीश का मानना है कि नृत्य पर किसी भी धर्म, जाति या समुदाय की मोनोपली नहीं है। वह कहते हैं, “नृत्य एक भाषा है और इसे कोई भी अपनी अभिव्यक्ति के रूप में इस्तेमाल कर सकता है।”
वर्तमान में अजीश मंजेरी तमिलनाडु में अपनी नृत्य अकादमी “ओंकारा आर्ट फाउंडेशन सेंटर फॉर भरतनाट्यम” चला रहे हैं, जहां वे छात्रों को भरतनाट्यम की शिक्षा देते हैं। उनकी अकादमी में छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं, क्योंकि अब नृत्य को स्कूलों में एक अकादमिक विषय के रूप में शामिल किया गया है। अजीश को रजनीकांत की फिल्म एंथिरन में भी उनके योगदान के लिए जाना जाता है, जिसमें उन्होंने नृत्य आंदोलन को मोशन कैप्चर तकनीक की मदद से प्रस्तुत किया था।
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