जब-जब आपने अखरोट (Walnuts) खाया होगा तो जरूरी ज़हन में कश्मीर का नाम आया होगा। क्या आपको पता है कि अखरोट की लकड़ी पर नक्काशी कर फर्नीचर, बॉक्स जैसी कई तरह की चीजे बनाई जाती है। अखरोट की लकड़ी का फर्नीचर सिर्फ कश्मीर में ही बनाया जाता है। श्रीनगर के रहने वाले गुलाम नबी दर 10 साल की उम्र से वॉलनट वुड कार्विंग (Walnut Wood Carving) आर्ट कर रहे है।
गुलाम नबी दार ने कैसे सीखी वॉलनट वुड कार्विंग
वॉलनट वुड कार्विंग आर्ट कश्मीर की एक प्राचीन कला है, जो 15वीं शताब्दी से लगातार कश्मीर की अर्थव्यवस्था में एक अहम भागीदारी निभाती रही है। लेकिन आज के दौर में इसकी राज्य में हिस्सेदारी अपने निचले स्तर पर आ गई है। श्रीनगर में रहने वाले गुलाम नबी डार अपनी नायब नक्काशी से वॉलनट वुड कारविंग को फिर से इसकी पुरानी पहचान दिलाने की कोशिश कर रहे है।
71 वर्षीय गुलाम नबी डार करीब दस साल की उम्र से इस कला से जुड़े हुए है। गुलाम बताते है कि “मैं चौथी क्लास तक पढ़ाई की और मेरे वालिद साहब तम्बाकू का बिजनेस करते थे उससे हमे फायदा नहीं हुआ और घर की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से मुझे स्कूल से निकाल दिया गया था क्योंकि मेरे पास स्कूल ड्रैस नहीं हुआ करती थी, फीस किताबें नहीं होती थी। इस वजह से मैने यह काम शुरू किया जब मैने काम सीखा तो मेरे दो उस्ताद है एक उस्ताद ठीक से जानते नहीं थे उसके बाद मैं काम सीखने के लिए दूसरे उस्ताद के पास गया वह मेरे मोहल्ले में रहा करते थे। उसके बाद मैने पुराने कारीगरों का काम देखा तब से मुझे इस काम में रूचि आई।”
गुलाम जब लोगों के पास सीखने जाते थे तो लोग उन्हें ढक्का देकर बाहर निकाल दिया करते थे तब एक व्यक्ति ने एक कारीगर नाम उन्हें बताया और कहा कि जब गुलाम उससे मिले तो वह बीमार था वह उल्टे हाथ से लिखा करत था, वही उसका गुजारा था और बहुत गरीब था। “उसने कहा कि तुम बहुत देर से आए हो अब मैं तुझे हाथों से नहीं सिखा पाऊंगा काम मुंह से बताऊंगा और लिख कर दूंगा कि कैसे करते है जैसे कैसे डिजाइन बनाना है” गुलाम ने बताया कि वो उसके पास करीब तीन से चार महीने रहे उसके बाद उनका इंतकाल हो गया। जितना भी कश्मीर का पुराना आर्ट था उसने गुलाम को सारा लिखकर दिया।
30 साल पुरानी लकड़ी पर की नक्काशी
गुलाम कहते है कि “कुछ समय पहले मेरे पास 30 साल पुरानी एक लकड़ी थी मैं उसे सूखाता था। जब वो अच्छे से सूख जाती थी तब मैं उस पर काम करता था। मैं जो ये काम करता हूं यह काम सिर्फ वॉलनट वुड पर ही बनाया जा सकता है।” श्रीनगर को यूनेस्को की 2021 की क्राफ्ट एंड फोर्क आर्ट की सूची में जोड़ा गया था। लकड़ी पर नक्काशी करने वाले कारीगरों को भरोसा था कि इस लुप्त होती कला को एक नया जीवन मिलेगा एक्ट ऑफ 1969 की वजह से कोई अखरोट के पेड़ को काट सकता है और ना ही उसमें कोई काट छाट कर सकता है रिवेन्यूं ऑफिसर से इजाजत मिलने के बाद ही लोग पेड़ को काट सकते है इस सारे प्रोसेस में समय काफी खर्च होता है।
गुलाम अल्लाह का शुक्रिया करते है और कहते है कि “मैं अपने इस काम से बहुत खुश हूं जब मेरी तबीयत खराब होती है और अगर मैं कमरे में बैठता था तो और ज्यादा बीमार हो जाता था फिर मैं कारखाने में जाता था तो ठीक हो जाता था। जब मैं काम करता हूं तो बहुत खुश होता हूं क्योंकि यह कोई आम काम नहीं है।”
लकड़ी पर बनाया पंचायत का डिज़ाइन
गुलाम ने लकड़ी पर गांव में होने वाली पंचायत का डिज़ाइन बनाया जिसमें उन्होंने पंडित, सीख, मुसलमान, ईसाई हर धर्म के व्यक्ति को अपनी कला को लकड़ी पर उतारा इसके अलावा उन्होंने एक गोल मजलिस बनाई, बीच में प्याला, हुक्का, तम्बाकू का डिब्बा, भेड़, मुर्गे एक दरख्खत के नीचे बनाई।
एक बॉक्स भी बनाया ये गुलाम का पहला काम था जिसके लिए उन्हें अवॉर्ड मिला। गुलाम ने कहा कि “स्टेट अवॉर्ड के लिए मैने यह बॉक्स दिया उस समय गुलाम मोहम्मद शाह वजीरेआलम थे उन्होंने मुझे अवॉर्ड दिया। तब मुझे लगा कि मैंने कुछ सीखा है इसके बाद मैने सीखने की ज्यादा कोशिश की। मैं जब उस बॉक्स को देखता तो मुझे यकीन नहीं होता था कि यह बॉक्स मैने बनाया है।”
वॉलनट वुड कार्विंग में किस पेड़ की लकड़ी का किया जाता है इस्तेमाल
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक कश्मीरी दुकानदार बताते है कि फर्नीचर बनाने के लिए उसी पेड़ का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें फल नहीं होते, कहने का मतलब यह है कि जो पेड़ फल देते हैं उसका इस्तेमाल फर्नीचर बनाने के लिए नहीं किया जाता है। और हर सामान के बनने का समय अलग-अलग है। अगर एक छोटे से बॉक्स की बात की जाए जिसमें आप अपने घर का कोई सामान रख सकते हैं या अपने सजने का सामान रख सकते हैं तो उसे बनने में कम से कम 10 दिन लगते हैं।
गुलाम नबी डार का अपने काम के प्रति लगाव और लगन समय समय पर रंग लाता रहा है थाईलैंड, जर्मनी और इराक सहित गुलाम नबी की नक्काशी की यह वॉलनट वुड कई देशो में बेचे जाते है। उन्हें अपने काम के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
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