कभी शाही सवारी के तौर पर पहचान रखने वाला तांगा, आज शायद ही नवाबी दौर के शहरों में दौड़ते हुए सड़कों पर दिखता है। पहले तांगा शान-ओ-शौकत की सवारी माना जाता था। एक वक़्त था जब सफ़र के लिए के दूसरे साधन नहीं होते थे या कम हुआ करते थे, ख़ास तौर से ग्रामीण इलाकों में तांगा ही आने-जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। आज श्रीनगर में टूरिस्ट्स को लुभाने के लिए यहां के युवाओं ने तांगा यानी घोड़ा गाड़ी को शुरू किया है। श्रीनगर जाने वाले लोग घोड़ी-बग्गी पर सवार होकर शहर की सड़कों पर घूमते हुए वहां की रूमानियत का लुत्फ़ उठा रहे हैं।
कैसे शुरू हुआ श्रीनगर में तांगा
घोड़ा गाड़ी को चार दोस्तों ने मिलकर शुरू किया है। इसे शुरू करने का आइडिया कैसे आया? इसके बारे में इम्तियाज़ अहमद DNN24 को बताते हैं कि ‘’पांच साल पहले मुगल गार्डन से दाचीगाम नेशनल पार्क से एक कच्ची सड़क जाती है। वो एक दिन उसी रास्ते जा रहे थे वहां उन्होंने बकरवालों को देखा जो घोड़े को घास खिला रहे थे। वहां से उन्हे घोड़ा गाड़ी शुरू करने का आइडिया आया।

उस सड़क पर अक्सर गाड़ियां नहीं जा पाती हैं इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों न घोड़ा गाड़ी शुरू किया जाए लेकिन कुछ अलग अंदाज़ में। फिर उन्होंने अपने दोस्तों शाहिद, मोमिन, इम्तियाज़ और आदिल को बताया। उन्होंने कहा कि इंग्लैंड में जो बग्गी चलती थी कुछ इस तरह Royal Horse Cart बनाएंगें। उन्होंने मेहनत की और एक ख़ूबसूरत घोड़ा गाड़ी बना कर तैयार की।
तांगा बनाने में लगे दस लाख रुपये
तांगा बनाने के लिए इम्तियाज़ को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इम्तियाज़ कहते हैं कि उन्हे उम्मीद थी कि उनका घोड़ा गाड़ी का ये आइडिया ज़रूर सफल होगा। उन्हे गाड़ी बनाने में करीब 10 लाख का खर्च आया जब उन्होंने पैसों के बारे में अपने परिवार को बताया तो उन्होंने सपोर्ट नहीं किया। आर्थिक हालात ठीक न होने के चलते उन्होने ये प्रोजेक्ट 2023 में छोड़ दिया और किसी और को दे दिया था। लेकिन इम्तियाज़ ने हार नहीं मानी और अपने आइडिया को पूरा करने में जी जान लगा दी। इम्तियाज़ कहते हैं कि “श्रीनगर के स्थानीय लोगों को हमारा नया काम काफी पसंद आया। हमें शाम को कई सारे फोन आते हैं कभी-कभी हमें घर जाते हुए देर हो जाती है। कभी-कभी उनके पास खाना खाने का भी समय नहीं होता।
सैलानियों की रील्स सोशल मीडिया पर कर रही ट्रेंड
ज़्यादातर सैलानी शिकारा की सवारी का मज़ा ज़रूर लेते हैं। आज तांगे पर बैठकर श्रीनगर को देखने का लुत्फ उठा रहे हैं। तांगे की सवारी सिर्फ़ सैलानियों की नहीं, बल्कि शहर के लोगों को काफ़ी पसंद आ रही है। लोग रॉयल हॉर्स कार्ट से रील बना रहे हैं। ये रील्स सोशल मीडिया ख़ूब ट्रेंड कर रही हैं। घोड़ा गाड़ी में बैठने का प्राइस कम से कम 500 रुपये से शुरू होता है। जो दो हज़ार रुपये से लेकर 2500 रूपये तक है। इम्तियाज़ और उनके दोस्त सुबह आठ बजे से लेकर सुबह दस बजे तक घोड़ा गाड़ी चलाते है। इम्तियाज़ ने dnn24 से बात करते हुए कहा कि, पुराने ज़माने में कश्मीर में तांगे का चलन था लोग ज़रूरी समान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाते थे।

कश्मीर की खूबसूरत और हसीन वादियां, महकते केसर, झिलमिलाती झीलें और सफेद संगमरमर की तरह चमकते बर्फ़ से ढके पहाड़ हर किसी को अपनी ओर खींचते हैं। आप जब भी कश्मीर की वादियों में घूमने आएं तो अपनी चेक लिस्ट में शिकारा की सवारी के साथ ही तांगा भी ज़रूर रखें। जिस पर बैठकर शहर की चमक को देखना ना भूलें।