बिहार के समस्तीपुर ज़िले का खुदनेश्वर धाम मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द का एक जीता-जागता प्रतीक है। यहां की हवा में शिव की भक्ति और मज़ार की श्रद्धा का ऐसा संगम है, जो हर दिल को छू जाता है। इस अनोखे मंदिर में एक ही छत के नीचे शिवलिंग और मज़ार, दोनों की पूजा-अर्चना होती है, जो गंगा-जमुनी तहज़ीब का बेहतरीन उदाहरण पेश करती है।
खुदनेश्वर धाम मंदिर का इतिहास प्रेरणादायक है। कहा जाता है कि मुस्लिम महिला खुदनी बीवी, भगवान शिव की भक्त थी। बचपन से ही वह यहां शिवलिंग की पूजा करती थी। उनके निधन के बाद, शिवलिंग के पास उनकी मज़ार बनाई गई, जो आज भी श्रद्धा और पूजा का केंद्र है। इस मंदिर में लोग शिवलिंग की पूजा करने के बाद खुदनी बीवी की मज़ार पर भी श्रद्धा अर्पित करते हैं।
ब्रिटिश काल में, 1858 में नरहन एस्टेट की ओर से इस मंदिर की नींव रखी गई। आज, यह छोटा सा मंदिर एक भव्य धार्मिक स्थल बन गया है। सावन, बसंत पंचमी और शिवरात्रि के अवसर पर यहां मेले का आयोजन होता है। खुदनेश्वर धाम न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह सौहार्द और सांप्रदायिक एकता का एक प्रतीक भी है। शिवलिंग और मज़ार की सह-अर्चना इसे पूरे देश में अनोखा बनाती है। यहां आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होने का विश्वास इसे और ख़ास बनाता है।
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