गणितज्ञ और कवि उमर खय्याम का जन्म नेयाश्बर (ईरान) में हुआ। गणित में रूचि रखने वाले खय्याम ने ज्यामितीय बीजगणित (Geometric Algebra) की शुरूआत की। बीजगणित से जुड़े समीकरणों के Geometric हल पेश किए। उन्होंने बीजगणित में मौजूदा द्विघात (Quadratic) समीकरण दिया। इसके अलावा, उन्होंने पास्कल के त्रिकोण और बियोनमियस कोईफीसिएंट के ट्राइएंगल अरे (Triangle array of binomial coefficients) का भी पहली बार प्रयोग किया था।
उमर खय्याम को जलाली कैलेंडर शुरू करने का श्रेय भी दिया जाता है। जलाली कैलेंडर एक सौर कैलेंडर है, जिसे जलाली संवत या सेल्जुक संवत भी कहा जाता है। इस संवत में 33 साल के दिन, तारीख, सप्ताह और लीप ईयर का पता लगाया जा सकता है। इसी कैलेंडर के आधार पर बाद में कई कैलेंडर तैयार किए गए। ये जलाली कैलेंडर आज भी ईरान और अफ़गानिस्तान में इस्तेमाल किया जाता है। उमर खय्याम ने ऐसा चतुर्भुज भी बनाया, जिससे ये साबित करने की कोशिश की गई थी कि यूक्लिड का पांचवां पदांतर (Euclid’s fifth postulate) जो समांतर रेखाओं (Parallel Lines) से संबंधित है, बहुत ही शानदार है।
उनकी कविताएं या रुबाइयों (चार लाइनों में लिखी जाने वाली कविता) को अंग्रेज़ी कवि एडवर्ड फिज्जेराल्ड द्वारा अनुवाद किए जाने पर 1859 के बाद प्रसिद्धि मिली। उमर खय्याम ने एक हज़ार से ज़्यादा रुबायत और छंद लिखे हैं। एडवर्ड फिट्जगेराल्ड ने उनके काम का ‘रुबायत ऑफ़ उमर खय्याम’ नाम से अनुवाद किया है। उमर खय्याम की मृत्यु 4 दिसंबर, 1131 में 83 साल की उम्र में हुई। उनके शरीर को निशाबुर, ईरान में ही मौजूद खय्याम गार्डन में दफ़नाया गया।
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