गुजरात के बारहा गांव में जन्मे मोहम्मद अली खत्री का नाम उन शिल्पकारों में शामिल किया जाता हैं, जो अपने हुनर के बलबूते देश विदेश में भारत का नाम रौशन कर रहें हैं। महज़ 12 साल की उम्र में वो काम की तलाश में घर से निकले थे। शुरुआत में उन्होंने बांधनी का काम सीखा यानि कपड़े पर छोटी गांठों को बांध कर सुंदर पैटर्न बनाने के लिए उन्हें अलग अलग रंगों में रंगने का एक तरीका है। अपने इस हुनर की बदौलत उन्हें विदेशों में कारीगरी के बारे में ट्रेनिंग देने के लिए भेजा जाता हैं। अब तक उन्हें 10 से ज्यादा देशों में जाने मौका मिला हैं जिनमे जर्मन, अमेरिका, जापान, दुबई, ब्राजील, मैक्सिको समेत कई देश शामिल हैं।
मोहम्मद अली खत्री समाज में गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी ट्रेनिंग देते हैं। मोहम्मद अली खत्री ने आवाज़ द वॉयस को बताया कि “ये काम महिलाएं आसानी से कर लेती हैं। अब तक 600 से ज्यादा महिलाएं उनके यहां काम सीख चुकी हैं, जो अच्छा पैसा कमा रही हैं।” मोहम्मद अली खत्री साल 1988 में राष्ट्रपति अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था, हस्तशिल्प क्षेत्र में उन्हें साल 2002 में उन्हें शिल्प गुरु पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा उन्हें अब तक कई बार अलग-अलग आयोजनों पर सम्मान मिल चुका हैं।
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