साबुन को लेकर तमाम तरह की बातें कही जाती हैं। लोगों का मानना है कि साबुन हमारी त्वचा की गंदगी को साफ कर हमें तरोताजा महसूस करवाता है। लेकिन हम अक्सर कन्फ़्यूज़ होते हैं कि किस तरह का साबुन इस्तेमाल करें। बाजार में बिकने वाले साधारण साबुन या फिर ऑर्गेनिक साबुन। जानकारों के मुताबिक, ऑर्गेनिक साबुन ज़्यादा टिकाऊ होते हैं। इनमे केमिकल्स, कीटनाशकों और उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। ऑर्गेनिक सोप दिखने में खूबसूरत होते है जिसकी वजह से लोग इनकी ओर आकर्षित होते हैं।
कश्मीर के श्रीनगर की रहने वाली सना आफ़ताब पिछले तीन चार सालों से ऑर्गेनिक साबुन बना रही हैं। सना के प्रॉडक्ट्स में ख़ास बात ये है कि वो साबुन बनाने के लिए कश्मीर के अलग-अलग ज़िलों से मिट्टी का इस्तेमाल करती हैं जैसे जाफरान के बाग की मिट्टी, सेब की मिट्टी, पहाड़ों की मिट्टी। इसके अलावा, कश्मीर में मौजूद अलग-अलग किस्म के पौधें, शहद, ओट्स, बकरी का दूध, अखरोट का तेल, बादाम के तेल का भी इस्तेमाल करती हैं।
सना बताती है कि ये कोई नई खोज या नया काम नहीं है। करीब 5000 साल पहले भी ऑर्गेनिक साबुन बनाए जाते थे। पुराने जमाने में पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स नहीं हुआ करते थे। इसलिए लोग जानवरों के फैट, तेल और पेड़ पौधों के फैट से साबुन बनाते थे। लेकिन आज पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स होने की वजह से आसानी हुई है।
ऑर्गेनिक साबुन बनाने का तरीका
ऑर्गेनिक साबुन के लिए प्लांट ऑयल, जानवरों का फैट या प्लांट्स बटर को इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद सोडियम हाइड्रोसाइड को पानी में मिलाकर इन सभी चीजों को एक साथ मिलाते हैं। मिलाने के बाद एक कैमिकल रिएक्शन होता है। इस केमिकल रिएक्शन में ग्लिसरीन, साबुन और एक तय मात्रा में पानी होता है। इसको दो से तीन हफ़्ते रखने के बाद पानी सूख जाता है और आखिर में सारा तेल और मक्खन, ग्लिसरीन और साबुन में बदल जाता है। ये बहुत ही आसान तरीका है लेकिन इस प्रोसेस को थोड़ा क्रिएटिव बनाने के लिए कुछ और ऑर्गेनिक चीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
सना अपने प्रॉडक्ट को और अच्छा बनाने के लिए जड़ी-बूटी, प्राकृतिक खनिज मिट्टी और चारकोल का इस्तेमाल करती हैं। अब तक सना 12 किस्म के साबुन लॉन्च कर चुकी हैं। उनके इन 12 साबुनों में सबसे ज़्यादा मांग केसर के साबुन की होती है।
कैसे की ऑर्गेनिक साबुन बनाने की शुरुआत?
सना दो बच्चों की मां भी हैं। DNN24 से बात करते हुए उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में वो घर पर मौजूद सामान जैसे तेल, मक्खन से साबुन बनाया करती थी। सना बताती हैं, “जब रात में मेरा परिवार सो जाता था, तब मैं साबुन बनाया करती थी। उस वक़्त लगता था कि मैं ये क्या कर रही हूं, क्या ये सही है या नहीं? लेकिन कहीं न कहीं मुझे पता था कि हम अच्छे से अपने प्रॉडक्ट को प्रेजेंट करेंगे और मेहनत करेंगे तो ज़रूर कामयाब होंगे। साथ ही हम लोगों को समझाएंगे कि ऑर्गेनिक सोप का इस्तेमाल करने से क्या फ़ायदे होते हैं।
कोई ग्राहक क्यों खरीदे आपका प्रॉडक्ट?
सना कहती है कि काम शुरू करने से पहले सबसे जरूरी होता है Value Proposition। इसका मतलब होता है कि आपके प्रॉडक्ट में क्या ख़ासियत है कि लोग पैसे देकर आपका प्रॉडक्ट खरीदे। सना कहती हैं कि हमारे इन साबुन की ख़ासियत यही है कि ये कश्मीर में मौजूद चीज़ों से बने हैं, जो एक तरह से कश्मीर को रिप्रेजेंट करते हैं। सबसे ज़्यादा साबुन की डिमांड कुछ ख़ास मौकों पर होती है, जैसे शादियों का सीज़न, उमरा का समय और ईद है।
ये भी पढ़ें: मोहम्मद आशिक और मर्लिन: एक अनोखी कहानी जिसने बदल दिया शिक्षा का परिपेक्ष्य
आप हमें Facebook, Instagram, Twitter पर फ़ॉलो कर सकते हैं और हमारा YouTube चैनल भी सबस्क्राइब कर सकते हैं।