बिहार में लोकआस्था का महापर्व छठ पूजा बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस बीच एक बेहद ख़ूबसूरत तस्वीर सामने आई है, जहां मुस्लिम महिलाएं भी छठ पूजा में शामिल हो रही हैं। मुज़फ़्फ़रपुर के कालीबाड़ी क्षेत्र की सायरा बेगम पिछले आठ सालों से छठी व्रत रख रही हैं। उन्होंने 2015 में छठी मैया से मन्नत मांगी थी कि अगर उनके पति की तबीयत ठीक हो जाती है, तो वह पूरी श्रद्धा के साथ छठ पर्व मनाएंगी। उनकी मन्नत पूरी हुई और उनके पति की सेहत में सुधार हुआ। तब से सायरा और उनका परिवार हर साल छठ पर्व श्रद्धा से मनाता है। सायरा का कहना है, “मैं जब तक ज़िंदा हूं, छठ पर्व करती रहूंगी, क्योंकि यह मेरे लिए आस्था और विश्वास का प्रतीक बन गया है।”
आवाज़ द वॉयस के मुताबिक इस साल बिहार की जेलों में भी छठ पर्व का उत्सव देखा जा रहा है। मुज़फ़्फ़रपुर की शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय जेल में 47 महिला और 49 पुरुष कैदी इस बार छठ व्रत रख रहे हैं। इनमें तीन मुस्लिम और एक सिख धर्म के व्यक्ति भी शामिल हैं। यह दृश्य बिहार की जेलों में एक सकारात्मक बदलाव को दिखाता है, जहां अलग-अलग धर्मों और समुदायों के लोग एक-दूसरे की आस्थाओं का सम्मान करते हुए इस महापर्व में शामिल हो रहे हैं।
सीतामढ़ी जिले के बाजितपुर गांव की जैमुन ख़ातून भी कई सालों से छठ पर्व मनाती आ रही हैं। छठ पर्व केवल शुद्धता और स्वच्छता का संदेश नहीं देता, बल्कि यह सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे का भी प्रतीक भी बन चुका है।
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