24-Jul-2024
Homeहिंदीएक हादसे के बाद मां-बाप ने छोड़ा साथ, पैरों से पेटिंग बनाकर...

एक हादसे के बाद मां-बाप ने छोड़ा साथ, पैरों से पेटिंग बनाकर जीता नेशनल अवॉर्ड 

मैं सभी आर्टिस्ट को पसंद करता हूं किसी एक को चुनना मुझे लगता है कि उनके काम को कमतर आकंने जैसा है।

हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ ग़ालिब,

नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते….

मिर्ज़ा ग़ालिब के लिखे इस शेर की जीती जागती मिसाल हैं सुनील कुमार। बचपन में हुए एक हादसे ने उनकी ज़िंदगी बदल दी। न किस्मत ने साथ दिया और न मां बाप ने। सुनील जब पांच साल के थे तब उन्हे बिजली का शॉक लगा, इस हादसे की वजह से उनके दोनों हाथ काटने पड़े। इसी दौरान अस्पताल के बेड पर लेटे सुनील को एक और झटका लगा जब उनके पैरेंट्स उनको छोड़कर चले गये। यहां से सुनील की किस्मत ने नया मोड़ लिया।

हॉस्पिटल के डॉक्टर कारला ने सुनील की हेल्प की और अपनी संस्था मदर टेरेसा हरियाणा साकेत काउंसिल चंडीमंदिर में रहने की जगह दी। आज भी ये संस्था दिव्यांग बच्चों के लिए काम करती है।

कैसे सीखा पैरों से लिखना और पेंटिंग बनाना

सुनील कुमार ने यहीं से स्कूल भी जाना शुरू किया। उनकी टीचर सोनिका ने सुनील को मुंह में पेंसिल दबाकर लिखना सीखाया। मुंह से पेंसिल पकड़कर लिखने में उन्हें आखों में दिक्कत होने पर उन्होंने पैरों से कलम पकड़ना सीखा। धीरे-धीरे सुनील ने पैरों से लिखना सीख लिया था। और कंप्यूटर भी चलाने लगे थे।

संस्था के स्कूल से ही सुनील ने हाईस्कूल तक पढ़ाई। उसके बाद साकेत हाई स्कूल, चंडीमंदिर पंचकूला से बारहवीं पास की। उन्होंने डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन भी किया। आज सुनील हरियाणा राज भवन सेक्टर 6 चंडीगढ़ में जॉब कर रहे हैं। वो कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन भी कर रहे हैं।

कैसे जीता नेशनल अवॉर्ड

सुनील का बचपन से ही रंगों के साथ ख़ास रिश्ता था। उन्होंने धीरे धीरे पैरों की उंगलियों से ब्रश पकड़ना सीखा और ख़ूबसूरत पेंटिंग बनाने लगे। लोग उनकी पेंटिंग खरीदने भी लगे।

जब टीचर ने उनकी पेंटिंग देखी तो वो हैरान थी। संस्था के डायरेक्टर डॉक्टर जसपाल सिंह भाटिया ने सुनील को स्टेट और नेशनल लेवल तक लेकर गये। भारत की पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल द्वारा सुनील को सम्मानित किया गया। सुनील इसके अलावा भी कई सारे अवॉर्ड पा चुके हैं। 2006 में हैंडीकैप वेलफेयर फेडरेशन से सर्टिफिकेट, 2007 में भारत विकास परिषद कालका परवाणू पेंटिंग में गोल्ड मेडल जीता। 2019 में विजुअल आर्ट एग्जिबिशन में सर्टिफिकेट, 2009 में 18वां मैंगो मेला हरियाणा टूरिज्म में सर्टिफिकेट, उन्हें 2019-2020 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग हरियाणा की पेटिंग में पहला स्थान मिला।

कैसे बनाते है सुनील पेटिंग

लोगों की मांग के आधार पर ही सुनील पेंटिंग बनाते है। पहले वह वॉटर कलर से पेंटिंग किया करते थे लेकिन पिछले दो से तीन सालों से एक्रेलिक कलर से पेंटिंग बना रहे हैं। सुनील कहते है कि “मैं इस तरह पेंटिंग बनाने की कोशिश करता हूं कि मुझे अच्छी लगे साथ ही लोगों को भी पसंद आए।” ज्यादातर लोग सुनील से धर्म से संबंधित पेंटिंग बनवाते हैं जैसे बुद्धा, गणेश, संमुद्र, पक्षी।

कैपेसिटी फाउंडेशन के जरिए मिली एक नई उड़ान

सुनील कुमार का एक यूट्यूब चैनल है जिसपर वह अपनी पेंटिंग और पेंटिंग बनाते हुए वीडियो शेयर करते हैं। इन वीडियो को कैपेसिटी फाउंडेशन ने देखा और उन्हें अपनी कला को बड़े स्तर तक दिखाने का लिए एक प्लेटफॉर्म भी दिया। कैपेसिटी फाउंडेशन एक बेहतर प्लेटफॉर्म है जो युवा कलाकार को अपनी कला को दिखाने का मौक़ा देता है। सुनील ने हैदराबाद, मुंबई, बैंगलुरू चेन्नई जाकर अपनी कला को पेश किया।

सुनील बताते हैं कि “मेरे पास उतनी कलेक्शन नहीं थी कि मैं एग्जीबिशन लगा सकूं। दिल्ली में भी उन्होंने इवेंट में हिस्सा लिया है। नौकरी से पहले सुनील अपनी पेटिंग से कमाते थे। आज वो सारा काम पैरों से करते हैं यहां तक ट्रैवलिंग भी अकेले करते हैं।

हाथों का होना ज़िंदगी पूरा नहीं करता

सुनील ने DNN24 को बताया कि वो एक बच्चे से मिले थे जिसकी उम्र करीब 7 साल थी। उस बच्चे के साथ भी कुछ हादसा हुआ था जैसे सुनील के साथ हुआ। उसके दोनों हाथ नहीं थे। “तब मैंने उसे समझाया कि ऐसा नहीं है कि हाथों का होना ही ज़िदगी को पूरा करता हैं। आज जिनके हाथ नहीं है या पैर नहीं है वो भी अपनी ज़िदगी जी रहें हैं।

सुनील कुमार से जब पूछा गया कि उनका पसंदीदा कलाकार कौन हैं तो उन्होंने कहा कि वह सभी आर्टिस्ट को पसंद करता हूं किसी एक को चुनना मुझे लगता है कि उनके काम को कमतर आकंना है। इसलिए मैं किसी एक आर्टिस्ट का नाम नहीं लेता। सुनील कहते हैं कि वह जो जॉब कर रहे हैं लोग उसकी वजह से उन्हें नहीं पहचाने बल्कि एक आर्टिस्ट के तौर पर मुझे पहचाने। 

ये भी पढ़ें: नेशनल अवॉर्ड विजेता रियाज़ अहमद ख़ान की पेपर मेशी कला क्यों है ख़ास

आप हमें FacebookInstagramTwitter पर फ़ॉलो कर सकते हैं और हमारा YouTube चैनल भी सबस्क्राइब कर सकते हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments