शहर के प्राचीन श्री वासुदेव मंदिर (Vasudev Temple) का इतिहास करीब पांच हज़ार साल पुराना है। वासुदेव मंदिर पांडवों के अज्ञात वनवास का गवाह रहा है। महाभारत में उस वक़्त भगवान कृष्ण पांडवों के साथ मंदिर में रुके थे। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने यहां स्थित तालाब में स्नान किया था। यहां उन्होंने अपने हाथों से शिवलिंग की स्थापना कर उसका पूजन भी किया था। वह शिवलिंग मंदिर में आज भी है।
उनके आने के बाद मंदिर का नाम श्रीवासुदेव तीर्थ पड़ा था। कदम के वृक्ष भगवान कृष्ण के आने का साक्ष्य हैं। श्रीवासुदेव तीर्थ मंदिर मान्यता अधिक है। क्षेत्र के हजारों कांवड़िए यहां कांवड़ और जल चढ़ाते हैं। यहां पर वासुदेव सरोवर, तुलसी उद्यान, श्री बाबा बटेश्वर नाथ जी का विशाल मंदिर और मीरा बाबा पवित्र स्थान है। जो भक्तों को अपनी और आकर्षित करता है। यहां भक्तों की सारी मनोकामना पूरी होती हैं।
देखिए वासुदेव मंदिर के पंडित विधानंद झा से ख़ास बातचीत…