एक ऐसा स्कूल जहां न दीवारें है, न दरवाज़ा है। बस एक ब्लैक बोर्ड, कुछ चटाईयां और एक टीचर हैं। मुंबई के कंकया इलाके में वी पावर जिम स्ट्रीट का एक फुटपाथ पिछले 12 सालों से शिक्षा का केंद्र बना हुआ है। स्कूल की टीचर यास्मीन परवेज ख़ान का यह स्कूल दोपहर तीन से शाम पांच बजे तक चलता है।
यास्मीन एक टीचर होने के साथ-साथ एक हाउस वाइफ हैं। उनके पति एक सॉफ्टवेयर कंपनी में मैनेजर हैं। यास्मीन ने अपने फुटपाथ स्कूल की शुरूआत दो बच्चों से की और आज वह करीब 50 बच्चों को वो पढ़ा रहीं हैं। शुरूआत में यास्मीन ने अपने पैसों से बच्चों के लिए स्टेशनरी का सामान खरीदा था लेकिन जब बच्चों की तादाद बढ़ती गई तब उन्होंने एक दिन ब्लैकबोर्ड पर कुछ सामान की लिस्ट लिखी और अगले ही दिन राहगीर उनकी मदद करने के लिए आगे आए।
उन्होंने आवाज-द वॉयस को बताया, ‘‘गरीब परिवारों के बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि पैदा करने में समय लगता है और उनके माता-पिता को इसका महत्व समझाना और भी कठिन काम है।’’ फुटफाथ पर पढ़ने वाले बच्चों को अब गाड़ियों की आवाज़ परेशान नहीं करती हैं बल्कि उनका ध्यान इस बात पर होता हैं कि यास्मीन मैम क्या कह रहीं हैं। स्कूल में आने वाले ज्यादातर बच्चे मज़दूरों और दैनिक वेतन भोगियों के हैं। यासमीन उन बच्चों की ज़िंदगी को बदलना चाहती हैं, जो स्कूल का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं।
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