श्रीनगर दुनिया के सबसे क्रिएटिव शहरों में गिना जाता है। घाटी में आर्ट एंड क्राफ्ट को जिंदा रखने के लिए कारीगर दिन-रात काम करते हैं। लकड़ी पर नक्काशी करना बहुत कठिन काम है लेकिन जम्मू कश्मीर के आर्टिस्ट गुलाम नबी ज़रगर नक़्क़ाशी के बेताज बादशाह है। वो अखरोट की लकड़ी पर कारीगरी के लिए फेमस हैं।
जम्मू कश्मीर हैंडीक्राफ्ट डिपार्टमेंट ने ‘Know Your Artisan’ यानि अपने कारीगर को जानें पहल के तहत कारीगर गुलाम नबी ज़रगर के बेहतरीन काम को उजागर किया है। इस एग्जीबिशन का उद्घाटन गुलाम नबी ने किया। गुलाम की नक़्क़ाशी काबिले तारीफ़ है।

गुलाम नबी ज़रगर ने DNN24 को बताया कि उन्होंने पढ़ाई की लेकिन फिर छोड़ दी थी उनके पिता के इस आर्ट से जुड़े कई कारीगरों के साथ दोस्ती थी। कारीगरों को गुलाम के पिता ने कहा कि आप लोग मेरे बेटे को ये काम सिखाओ। गुलाम नबी को नक्क़ाशी करते हुए करीब 55 साल हो गये हैं।
हैंडीक्राफ्ट एंड हैंडलूम डायरेक्टर पहुंचे गुलाम साहब के कारखाने
गुलाम साहब बताते हैं कि कश्मीर के हैंडीक्राफ्ट एंड हैंडलूम डायरेक्टर मेहमूद अहमद शाह मेरे कारखाने आएं और उन्होंने सबसे पहले एक टेबल देखी जिसमे डल झील के इतिहास को उकेरा गया था। “तब उन्होंने मुझे बोला कि आप मेरे पास आओ और हम एग्जीबिशन लगाएंगे और एग्जीबिशन से ये कला आगे बढ़ेगी जिससे ये इंटरनेशनल लेवल पर जाएगी।” वो कहते है कि ये आर्ट इतनी आसान नहीं है इसके लिए काफी सोचना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि इसे एक बार बना दिया तो ये तैयार है अगर बनाने में थोड़ी भी ऊंच नीच होती है तो इसे दस बार मिटाना भी पड़ता है। “आज लोग मशीनों की मदद लेते हैं। अगर आज नई पीढ़ी इस आर्ट को सीखेगी तो पैसा कमाएंगे।”
गुलाम नबी ज़रगर की लकड़ी पर नक्काशी इतिहास बयां करती है
गुलाम नबी ज़रगर वुड कार्विंग कारीगरों में से एक हैं जिन्होंने अपने सुनहरे हाथों से लकड़ी की नक्काशी को जिंदा रखने में अहम किरदार अदा किया है। एग्जीबिशन में कश्मीर घाटी की बेहतरीन अखरोट की लकड़ी से बने यूनिक प्रोडक्ट को लगाया गया था। उनका हर प्रोडक्ट एक एक इतिहास बयां करता है। उनके प्रोडक्ट दिखने में जितने खूबसूरत हैं उससे ज़्यादा करीब से देखने में शानदार लगते हैं।
इस नक़्क़ाशी को देखकर लगता है कि, चिनार सिर्फ़ एक पेड़ नहीं बल्कि खुद में पूरा इतिहास समेटे हुए है। अखरोट की लकड़ी पर नक़्क़ाशी करके तस्वीरों में चार चांद लगा दिये है। गुलाम नबी ने dnn24 से बात करते हुए कहा कि,इस टेबल को बनाने में काफ़ी वक़्त और मेहनत लगी है। लकड़ी की टेबल पर डल झील को बहुत ही नायाब अंदाज़ में पेश किया गया है।

गुलाम नबी ज़रगर की एग्जीबिशन में मेहमूद अहमद शाह ने कहा कि “गुलाम साहब नामी ग्रामी वॉलनट वुड आर्टिस्ट है। जब मैं इसे मिला तो मुझे लगा कि इन्होने जो काम किया है इसे दुनिया के सामने लाने की ज़रूरत है। हमें कारीगरों को प्रमोट करने की ज़रूरत है।”
गुलाम के कारखाने में इरफान करीब 26 साल से इस काम को कर रहे हैं वो कहते हैं कि “पहले अल्लाह की मर्जी से उसके बाद गुलाम साहब की मेहरबानी से मुझे ये काम मिला है। उन्होंने मुझे काम तो सीखाया साथ ही मुझे पाला भी है।” वो चाहते है कि ये आर्ट इंटरनेशनल लेवल तक पहुंचे।
ये भी पढ़ें: एक हादसे के बाद मां-बाप ने छोड़ा साथ, पैरों से पेटिंग बनाकर जीता नेशनल अवॉर्ड
आप हमें Facebook, Instagram, Twitter पर फ़ॉलो कर सकते हैं और हमारा YouTube चैनल भी सबस्क्राइब कर सकते हैं।