Green Man of U.P नाम से मशहूर प्रदीप डाहलिया उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद ज़िले से हैं। कई सालों से प्रकृति की सेवा कर रहे हैं। उनका प्रकृति प्रेम बचपन से ही था। प्रदीप ने साल 2005 में हाईस्कूल और 2007 में इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद, उन्होंने जीव विज्ञान में ग्रेजुएशन, और इतिहास और शिक्षा में मास्टर डिग्री हासिल की। इसके साथ ही, उन्होंने मैकेनिकल ब्रांच में डिप्लोमा भी किया।
बचपन में प्रदीप को स्कूल से एक पौधा तोहफे में मिला था, जो आज भी उनके पास है। यही पौधा उनके प्रकृति के प्रति लगाव का प्रतीक है। प्रदीप के पिता एक कार मैकेनिक हैं, और प्रदीप अक्सर उनकी वर्कशॉप पर जाते थे।
2014 में, जब प्रदीप एक वर्कशॉप में गए, तो उन्होंने देखा कि वाहनों से निकलने वाला धुआं सेहत के लिए हानिकारक है। पेट्रोल और डीज़ल से चलने वाले वाहनों से निकलने वाली ज़हरीली गैसें वातावरण को प्रदूषित करती हैं। प्रदीप ने इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए लोगों से सलाह ली और पेड़ लगाने की दिशा में काम शुरू किया।
लोगों ने उन्हें पेड़ लगाने की सलाह दी, क्योंकि पेड़ ही प्रदूषण की भरपाई कर सकते हैं। प्रदीप ने तब से कई अभियान चलाए और लोगों को पेड़ लगाने के लिए जागरूक किया। अब तक, उन्होंने 4 लाख से ज़्यादा पेड़ लगाए हैं। इसके साथ ही लोगों में प्रकृति के प्रति लौ जगाई है। इस कारण उन्हें ‘Green Man of U.P’ का टाइटल भी मिला है। साल 2017 में, प्रदीप ने ट्री बैंक की शुरुआत की। उनके ट्री बैंक नोएडा सेक्टर 147, ग्रेटर नोएडा, और गाज़ियाबाद में भी हैं। ट्री बैंक की ख़ासियत ये है कि कोई भी व्यक्ति मुफ़्त में पौधा ले सकता है, बस उसे पौधे की जीपीएस लोकेशन भेजनी होती है। अब तक उन्होंने 1 साल में करीब 40 हज़ार पौधे मुफ्त में बांटे हैं।
प्रदीप ने अपनी बचत से सड़क के डिवाइडर और कई पार्कों में हरियाली बनाई है। इसके लिए उन्होंने किसी से भी मदद नहीं ली और अपने पिता की वर्कशॉप में काम करके पैसे इकट्ठा किए। हाल ही में, वो गौतमबुद्ध नगर के 10 तालाबों के चारों ओर भी पौधे लगा रहे हैं।
प्रदीप का मानना है कि पीपल, बरगद, जामुन, आम और अमरूद जैसे पेड़ लगाने चाहिए, जो लंबे समय तक जीवित रहते हैं। वे बच्चों और वयस्कों को पौधों को पानी देने से लेकर उनके महत्व तक सब कुछ सिखाते हैं। उन्होंने सुनपुरा गांव में सुनपुरा मंदिर के पास 5000 पेड़ लगाए हैं, जो अब एक जंगल का रूप ले चुके हैं। प्लास्टिक फ्री इंडिया को लेकर प्रदीप कई बार अभियान चला चुके हैं 2014 में हरिद्वार से लेकर यात्रा भी की थी, जिसमें प्लास्टिक को लेकर जागरुकता के लिए उन्होंने काम किया था।
प्रदीप ने हाल ही में पेट्रोलियम मंत्रालय, दिल्ली के साथ मिलकर भी पेड़ लगाए हैं। उनका कहना है कि पेड़ लगाने से आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवन बेहतर होगा।
प्रदीप की कहानी उनकी मेहनत, समर्पण और पर्यावरण के प्रति उनके प्यार को दर्शाती है। यह हमें याद दिलाती है कि हम सभी के पास बदलाव लाने की शक्ति है। चाहे कितना भी छोटा काम हो, हमारे प्रयास सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
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