19-Sep-2024
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‘मदरसा परिचय’ पहल से धार्मिक सद्भावना बढ़ाने की कोशिश

मदरसों में न सिर्फ कुरान की तालीम दी जाती है, बल्कि उर्दू के साथ मराठी, अंग्रेजी, हिंदी भाषाओं को भी पढ़ाया जाता है

अपने धार्मिक स्थलों को दूसरे धर्मों से परिचित कराने के लिए महाराष्ट्र के मुस्लिम समुदाय ने ‘मदरसा परिचय कार्यक्रम’ नाम से एक अनोखी पहल की। इस पहल से आयोजकों ने मदरसा क्या है और वास्तव में यहां क्या किया जाता है जैसे सभी सवालों के जवाब देने की कोशिश की। ये कार्यक्रम पुणे के दापोडी में ‘मदरसा फैजुल उलूम’ में आयोजित किया गया था। 

इस मौके पर आयोजकों ने मदरसों में होने वाले धार्मिक पद्धति और पढ़ाई से संबंधित जानकारी दी। इस मौके पर लोगों ने आयोजकों से ‘मदरसा’ का कॉन्सेप्ट और यहां चल रही अलग-अलग चीजों के बारे में खुलकर सवाल पूछे। 

मदरसे के इकबाल कासमी मदरसा फैज़ुल उलूम के प्रिंसिपल हैं। उन्होंने आवाज़ द वॉयस मराठी को बताया कि, ”हम इस बात पर जोर देते हैं कि मदरसे में आने वाले बच्चों की उम्र आठ साल और उससे ज़्यादा होनी चाहिए, ताकि वो अपना काम खुद कर सकें। उनकी 12वीं तक की पढ़ाई इसी मदरसे में पूरी हो। यहां न सिर्फ कुरान और हदीस की तालीम दी जाती है, बल्कि उर्दू के साथ-साथ मराठी, अंग्रेजी, हिंदी जैसी भाषाओं और मॉडर्न एजुकेशन भी बच्चों को मिलता है।  

मदरसा परिचय कार्यक्रम में अलग-अलग धर्मों के लोगों ने हिस्सा लिया। धार्मिक सद्भाव के लिए काम करने वाले एक साउथ कोरियाई एनजीओ ने भी ‘मदरसा परिचय’ पहल में हिस्सा लिया। विदेशी पर्यटक भी इस गतिविधि से खुश हुए। एचडब्ल्यूपीएल के जनरल डायरेक्टर ऐली योन ने कहा ये मदरसा परिचय कार्यक्रम धार्मिक सद्भाव बनाए रखने में काफी मदद करेगा। ये काम ज़रूर दूसरे धर्म के मानने वाले लोगों में समझ बढ़ाने में कामयाब होगा। 

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