आईआईटी खड़गपुर से कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे शाहनवाज हुसैन का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) वह तकनीक है जो भविष्य में समाज की सोच और काम करने के तरीके को पूरी तरह बदल देगी। जिस तरह पुरानी पीढ़ी ने खुद को मोबाइल फोन की तकनीक से अपडेट किया, ठीक उसी तरह हमें भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में आगे बढ़ना होगा।
शाहनवाज बताते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आधार डेटा होता है,जितना अच्छा डेटा इसमें डाला जाएगा, उतना ही सटीक और उपयोगी इसका प्रदर्शन होगा। एआई तकनीक के ज़रिए कंप्यूटर को इंसान जैसा बुद्धिमान बनाने की कोशिशें जारी हैं। इसके फायदे और नुकसान दोनों हैं, लेकिन यह पूरी तरह डेटा और एल्गोरिदम पर चलता है।
उन्होंने आवाज़ द वॉयस को बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में आए दिन नए बदलाव हो रहे हैं, और यह कहना मुश्किल है कि अगले छह महीनों में इस तकनीक में कितनी बड़ी क्रांति आएगी। वर्तमान में शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, और अर्थव्यवस्था जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में इसके उपयोग की कोशिशें की जा रही हैं।
AI के आने से बढ़ेगा रोजगार
शाहनवाज मानते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का असर नौकरियों पर भी पड़ेगा। जैसे मोबाइल के आने से नई नौकरियों के अवसर पैदा हुए, वैसे ही एआई के आने से नए क्षेत्रों में रोजगार के मौके बढ़ेंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्सपर्ट, डेटा एनालिस्ट, और रोबोटिक्स इंजीनियर जैसे प्रोफेशन की मांग पहले से बढ़ रही है।
उनका मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीनी कार्यों को आसानी से संभाल सकता है, लेकिन इंसानी नौकरियों पर खतरा उतना गंभीर नहीं है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल लोग करेंगे और एआई उन्हें कमांड देने और पूछने का काम करेगा, इसलिए कहा जा सकता है कि नौकरियां ज्यादा खतरे में नहीं हैं, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीनी नौकरियों की जगह ले सकता है। इसका इस्तेमाल करके बेहतर शिक्षा, चिकित्सा, और व्यापार के नए अवसरों को बढ़ाया जा सकता है।
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