कश्मीर घाटी में पिछले तीन दशकों में महिलाओं की शिक्षा ने तेज़ी से प्रगति की है। इससे महिलाओं के लिए रोज़गार के नए अवसर खुले हैं, लेकिन इसके साथ ही समाज में कई चुनौतियां भी उभरी हैं। एक ओर, कश्मीरी लड़कियां शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं और उच्च पदों पर पहुंच रही हैं। वहीं, लड़के हिंसा, नशे की लत और सोशल मीडिया में उलझकर पीछे रह गए हैं।
महिलाओं की शिक्षा और सफलता
कश्मीर की लड़कियां आज न सिर्फ़ घाटी के अंदर बल्कि बाहर और यहां तक कि विदेशों में भी उच्च शिक्षा हासिल कर रही हैं। इससे समाज में उनकी भूमिका और सशक्तिकरण बढ़ा है। महिलाएं मेडिकल, इंजीनियरिंग, प्रशासनिक सेवाओं, और अकादमिक क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं।कश्मीरी पुरुष अशांति और सामाजिक समस्याओं की वजह से पिछड़ गए हैं। हिंसा और सामाजिक अस्थिरता के समय, युवा लड़के अनुशासन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से दूर होते गए। सोशल मीडिया की लत, नशाखोरी, और बेरोजगारी ने इस समस्या को और गहरा कर दिया है।

जम्मू-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के प्रोफे़सर डॉ. खुर्शीद-उल-इस्लाम का मानना है कि यह प्रवृत्ति खतरनाक है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी धीरे-धीरे मेहनत और रोज़गार से दूर हो रही है। यह प्रवृत्ति समाज के भविष्य के लिए चिंता की वजह है।घाटी में परिवारों की संरचना भी बदल रही है। पहले संयुक्त परिवारों का प्रचलन था, लेकिन अब एकल परिवारों की संख्या बढ़ रही है। इससे सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों पर प्रभाव पड़ा है। सोशल मीडिया और बाहरी प्रभावों ने पारंपरिक विवाह समारोहों और रीति-रिवाजों को भी बदल दिया है।पहले, कश्मीरी समाज में विवाह और सामाजिक समारोह सादगी से संपन्न होते थे। अब इन पर भारत और पाकिस्तान की बाहरी परंपराओं का प्रभाव बढ़ गया है। इससे संसाधनों की अनावश्यक बर्बादी हो रही है।कश्मीरी समाज को इन चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। लड़कों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और रोज़गार के अवसर प्रदान करने पर ध्यान देना होगा। साथ ही, महिलाओं को उनकी बढ़ती ज़िम्मेदारियों में सहारा देना ज़रूरी है।
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