आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, (All India Muslim Personal Law Board) जो 1972 में स्थापित हुई, एक गैर-सरकारी संस्था है जो शरीयत कानून (Shariat Act) की हिफाजत करती है। इसके आपत्तिजनक इतिहास में 1978 में शाहबानो केस उभरा, जहां पति की दूसरी शादी पर गुजारा भत्ता की मांग शरीयत कानून के खिलाफ बताई गई थी।
यह संगठन अपने आपको मुस्लिम कुलीन अशराफों की समाजिक और राजनीतिक संस्था मानती है, जबकि इसका दावा गैर राजनीतिक होने का है।
यह संस्था मुस्लिम समाज का अंग रही है, लेकिन विभिन्न तरीकों से सुधारवाद के खिलाफ रही है।
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