भारत की आजादी के साढ़े छह महीने तक, पसमांदा मुस्लिम (Pasmanda Muslims) संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत आरक्षण के हकदार थे। लेकिन 10 अगस्त, 1950 को राष्ट्रपति ने उन्हें वंचित समुदायों की सूची से हटा दिया, जबकि उन्हें आरक्षण की आवश्यकता थी। यह आदेश लाखों भारतीय मुस्लिमों को प्रभावित किया और उनके भीतर विभाजन को तेज कर दिया।
अखिल भारतीय पसमांदा मुस्लिम महाज (All India Pasmanda Muslim Mahaj) की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष शमीम अंसारी बताते हैं, “नेहरू सरकार का यह कदम मौलाना अबुल कलाम आजाद के इशारे पर उठाया गया था।” पसमांदा मुस्लिम आरोप लगाते हैं कि अशराफ राजनीति और व्यवस्था में उनके प्रति हवाई और हेरफेर करते हैं।
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