अजमेर शरीफ़ का नाम सुनते ही ख़्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह का पवित्र नज़ारा और उसकी रूहानी फिज़ा ज़हन में उभर आती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दरगाह के आसपास का खाना भी उतना ही मशहूर और लाजवाब है? यहां के बाज़ारों में मुग़लई ज़ायकों से लेकर पारंपरिक राजस्थानी थाली तक, हर स्वाद का जादू बिखरा है। दरगाह के गेट के पास कई होटलों में लज़ीज़ मटन बिरयानी, चिकन बिरयानी, मटन कोरमा, नहारी, पाये, कीमा, शामी कबाब और मटन चाप जैसे पकवान मिलते हैं। सुबह से देर रात तक यहां होटलों के बाहर खाने के शौकीनों की भीड़ लगी रहती हैं।
अजमेर शरीफ़ का सस्ता और भरपेट खाना
दिल्ली के मटिया महल और निज़ामुद्दीन की तरह, यहां भी गरीबों के लिए सस्ते और स्वादिष्ट खाने की व्यवस्था है। 30-40 रुपये में दाल-चावल, छोले-चावल या दो रोटियों के साथ सब्ज़ी मिल जाती है। लोग अक्सर यहां से खाना खरीदकर ज़रूरतमंदों में तक़सीम करते हैं।यहां के कई होटलों में शुद्ध शाकाहारी खाना मिलता है। राजस्थानी थाली में दाल बाटी चूरमा, गट्टे की सब्ज़ी, बाजरे की खिचड़ी, केर सांगरी और पापड़ की सब्ज़ी जैसे व्यंजन शामिल हैं। इन पर देसी घी की ख़ुशबू इसे और भी ख़ास बना देती है।
ख़ास स्नैक्स और मिठाइयां
अगर आप चटपटे स्नैक्स के दीवाने हैं, तो समोसे, कचौरी, मिर्ची वड़ा और दाल-ढोकला का स्वाद लेना न भूलें। यहां कचौरी के साथ छोले या आलू की सब्ज़ी की बजाय कढ़ी परोसी जाती है, जो एक अनोखा अनुभव देती है। मिठाइयों की बात करें, तो अजमेर का मावा, पेड़ा, रबड़ी, मालपुआ, बालूशाही और बड़ी बूंदी के लड्डू यहां के प्रमुख हैं। अजमेर शरीफ़ की ज़ियारत के साथ-साथ यहां के ज़ायकों का स्वाद लेना भी अपने आप में एक यादगार अनुभव है। जब भी अजमेर जाएं, वहां के लज़ीज़ खाने का ज़ायका ज़रूर चखें।
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