घरों को सजाना एक तरह की आर्ट है। लोग अपने घरों को नया लुक देने के लिए कई तरह के प्रयोग करते रहते हैं। वहीं फर्नीचर घर में मौजूद ऐसे आइटम हैं जो एक नया लुक देते है। असम का बेंत का फर्नीचर वर्षों से भारतीय घरों का प्रमुख हिस्सा रहा है। इसका वज़न इतना हल्का होता है जहां चाहे वहां इसे ले जाया जा सकता है। गर्मियों के मौसम में शाम के वक्त बगीचे में बेंत की कुर्सियों में बैठ कर समय बिताना सभी को अच्छा लगता है।
हालाँकि, बेंत के फर्नीचर की जगह अब प्लास्टिक की कुर्सियाँ लोकप्रिय हो गईं है। लेकिन अब, ऑनलाइन शॉपिंग (Online Shoping) की बदौलत यह चलन वापस आ रहा है। गुवाहाटी से एक ऐसे ही शख्स है असलम ख़ान, (Aslam Khan) जिन्होंने गुवाहाटी से लेकर देश भर के बड़े शहरों में बेंत का फर्नीचर ऑनलाइन बेचना शुरू कर दिया है।
प्लास्टिक और डिज़ाइनर फर्नीचर की डिमांड से साथ बेंत के फर्नीचर की है डिमांड
असम में, बेंत और बांस के काम में 480 इकाइयाँ शामिल हैं, जिनमें लगभग 3.71 करोड़ रुपये का निवेश है, जो लगभग 2,500 कारीगरों को रोजगार प्रदान करती है। असलम ने ऑनलाइन शॉपिंग ट्रेंड को अपने बिजनेस का हिस्सा बनाया है। गुवाहटी के R.J. बरूहा रोड़ पर उनकी फर्नीचर की दुकान है। हर सुबह दुकान खोलने के साथ ही असलम सभी फर्नीचर की सफाई करते है। आज से एक दशक पहले तक पुराने डिजाइन के फर्नीचर काफी देखे जाते थे। फिर प्लास्टिक और डिज़ाइनर फर्नीचर ने इनकी जगह ले ली। लेकिन एक बार पुरानी चीज़ों का क्रेज लोगों को बीच बढ़ रहा है। इसका सबूत है असलम को देशभर से मिलने वाले ऑर्डर। बेंत से बने फर्नीचर का डिजाइन असलम खुद डिजाइन करते है। और उनकी तस्वीरें एक एलवंब में रखते है। लोग अपने मनपसंद के डिजाइन उनके पास लेकर आते है और असलम हूबहू वहीं डिजाइन तैयार करते है।
अपने पिता के बिजनेस को आगे बढ़ाते असलम
असलम ने DNN24 को बताया कि बेंत का बिजनेस उनके पिता इमरान खान ने 1980 में शुरू किया था। साल 2017 में पिता की मौत के बाद असलम खुद इस बिजनेस को आगे बढ़ा रहे है। इनकी दुकान में बनने वाले सोफे 20 हजार से लेकर 50 हजार रूपये तक है। प्रोटक्ट का जितना बारीक और खूबसूरत डिजाइन उतना ही ज्यादा इसका दाम होता है। बड़े-बड़े बंगले और रिजॉट में असलम अपना फर्नीचर बेचते है। सबसे ज्यादा सोफा सेट पांच सीटर, थ्री प्लस एक टेबल की डिमांड ज्यादा होती है। बेंत के फर्नीचर 15 से 20 साल तक खराब नहीं होते है। असलम ने A.K. Cane And Bamboo Industry नाम से एक पेज बनाया। इसके बाद ही उनके पास दिल्ली, मुंबई और कोलकाता से ऑर्डर आने लगे। आज असलम ढाई लाख रूपये प्रतिमाह ऑनलाइन ऑर्डर लेते है।

असलम कहते है कि “बेंत नेचुरल चीज है। लेकिन ज्यादातर लोगों को इस प्रोडक्ट के बारे में पता नहीं है। हमारी स्थानीय मार्केट है इसलिए यहां से ऑर्डर कम मिलते है। लेकिन गुवाहाटी से बाहर लोगों को इसके बारे में पता है और वो ऑर्डर भी करते है। स्थानीय लोगों को हम रेडिमेड ही बेचते है।”
कितना समय लगता है बेंत का एक सोफा सेट बनाने में
असलम की दुकान में कई दशक पहले कारीगर जिन डिजाइनों से कुर्सी और मेज बनाते थे, आज वो नए डिजाइन बनाते है। इस दुकान में हर कारीगर का अपना एक अलग हुनर है। कुछ कारीगर सोफे बनाने में माहिर है तो कुछ को कुर्सी और मेज बनाने में महारथ हासिल है। सोफे और कुर्सी को बनाने के लिए कारीगर बांस को गर्म करके इसे जरूरत के मुताबिक मोड़ते है। फिर कीलों की मदद से अलग-अलग टुकड़ों को जोड़कर फर्नीचर का कच्चा ढ़ांचा तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद बांस की पतली पट्टियों से डिजाइन किया जाता है।
कारीगर दिन रात मेहनत करके 15 से 20 दिन में एक सोफा सेट तैयार कर पाते है। बेंत का फर्नीचर सेट बनाने में कितना समय लगेगा ये उसके डिजाइन पर निर्भर करता है। जिस समान को बनाने में जितना ज्यादा समय लगता है उसकी कीमत उतनी ही अधिक होती है। कुछ लोग अपने घर के स्पेस के हिसाब से ऑर्डर देकर भी फर्नीचर बनवाते हैं।
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