दुनियाभर में पीतल नगरी के नाम से मशहूर ऐतिहासिक शहर मुरादाबाद को एक नई पहचान दस्तक़ारी के उस्ताद दिलशाद हुसैन (Dilshad Hussain) ने दिलाई है। अब पीतल नगरी का नाम पद्मश्री से भी जुड़ गया है। पीतल के बर्तनों पर नक़्क़ाशी के बेताज बादशाह दिलशाद हुसैन का चयन पद्मश्री अवार्ड के लिए हुआ है। मुरादाबाद के इतिहास में पहली बार किसी को पद्मश्री से नवाज़ा जाएगा। लखनऊ में एक सेमिनार में पीएम मोदी ने दिलशाद हुसैन की तारीफ़ की थी। इतना ही नहीं उनके हाथ से बना हुआ एक कलश 2022 में G7 सम्मेलन के दौरान जर्मनी के चांसलर को भेंट किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दिलशाद के हुनर के मुरीद
दिलशाद ने पीतल की प्लेट पर दस्तकारी नक़्क़ाशी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर बनाई है। हुसैन साहब पीलत के बर्तनों पर नक़्क़ाशी कर उसे antique items का रूप देते है। जैसे शिल्पकार प्लेन फूलदान, कलश, बोतल और लुटिया पर नक़्क़ाशी करके फूल पत्तियों की झड़ी लगा देते हैं, जिससे items में चार चांद लग जाते है और एक अलग ही रौनक आ जाती है जिससे items बहुत ही ख़ूबसूरत लगने लगता है।
![Brass Handicrafts by Dilshad Hussain](https://dnn24.com/wp-content/uploads/2023/03/Brass-Handicrafts-by-Dilshad-Hussain.jpg)
अपनी ख़्वाहिशों की उड़ान कुछ इस तरह बयां की
दिलशाद हुसैन ने कहा कि, जब मैं 12 या 13 साल का था तो हमारे दादा अब्दुल अख़लाक हमीद पीतल के बर्तनों पर नक़्क़ाशी करते थे। दादा को नक़्क़ाशी करते हुए देखा तो मुझे भी नक़्क़ाशी का शौक पैदा हुआ। दादा के साथ बैठकर नक़्क़ाशी की बारीकी को सीखना शुरू किया। कुछ वक़्त बाद दादा इस दुनिया को अलविदा कह गये और फिर यह कारीगरी अपने चाचाजान कल्लू अंसार से सीखी। इसी कड़ी में उस्ताद मतलूब से भी नक़्क़ाशी की बारीकी को परख़ा। मुझे अपनी कला को विदेश में भी दिखाने का मौका मिला है साल 2015 में नक़्क़ाशी के सिलसिले में ईरान भी जाना हुआ था.वहां भी लोगो ने नक़्क़ाशी को बहुत पसंद किया।
पूरा ख़ानदान नक़्काशी में माहिर
दिलशाद हुसैन की बेटी उज़मा ख़ातून ने कहा कि, पापा को पद्मश्री अवार्ड मिला मुझे बेइंतहा खुशी हुयी। जैसे दिलशाद हुसैन ने अपने बड़ो से नक़्क़ाशी को सीखा था उसी तरह उज़मा भी अपने वालिद(पापा) से सीख रही है। आगे कहा कि कोई खराब अदद हमें पापा दे देते है उस पर कलम पकड़ने से लेकर फूल पत्तियों की झड़ी लगाने तक सीख रही हूं। जब मैं कही जाती हूं तो मुजझे कोई पूछता है कि, दिलशाद हुसैन आपके वालिद है तो मुझे बहुत फ़ख़्र महसूस होता है। उज़मा ने अपनी वालिदा(अम्मी) से पेंटिग सीखी। उज़मा ने कहा कि, मुझे स्टेट अवार्ड भी मिला है और बेटों से लेकर बेटी और बहुएं भी हस्तशिल्प के हुनर में माहिर हैं। उनकी दो बहुओं को राज्यपाल से अवार्ड मिल चुका है।
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दिलशाद हुसैन ने DNN24 से बात करते हुए कहा कि मुझे 2004 में स्टेट अवार्ड, 2012 में नेशनल अवार्ड और 2017 में शिल्पगुरु अवॉर्ड मिला था। मेरे पास लेटर की शक्ल में लिस्ट आई और फ़ोन आया कि, आपका पद्मश्री अवार्ड के लिए चयन हो गया है। मैंने अल्लाह का शुक्रिया अदा किया और ये ख़ुशी अपनों के साथ बाँटी।
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