प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर में “पीएम विश्वकर्मा” योजना की शुरुआत की। इसका उद्देश्य पारंपरिक शिल्पकारों को आर्थिक सहायता देना और संस्कृति को बचाना है।
इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा 13,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। प्रमाण पत्र, पहचान पत्र, प्रशिक्षण, और वित्तीय सहायता के साथ, बायोमेट्रिक आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से विश्वकर्माओं का निःशुल्क पंजीकरण किया जाएगा। उन्हें कौशल उन्नयन, टूलकिट प्रोत्साहन, ऋण सहायता, और डिजिटल लेनदेन की सहायता भी प्राप्त होगी।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक कौशल के परिवार-आधारित प्रथाओं को सुदृढ़ करना है और भारतीय शिल्प और कला की विरासत को सुरक्षित रखना है। पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत 18 पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया जाएगा, जैसे कि बढ़ई, नौका निर्माता, लोहार, सुनार, मोची, दर्जी, और गुड़िया निर्माता। इससे यह सुनिश्चित होगा कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों को समृद्धि और सांस्कृतिक धरोहर के साथ आर्थिक सहायता मिलती रहे।
पीएम विश्वकर्मा योजना भारत के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कार्यरत कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करने का संकल्प लेती है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि उनके उत्पाद और सेवाएं घरेलू और वैश्विक बाजारों में सफल हो सकें और उनकी पारंपरिक कौशल की मूल्यवर्धना हो।
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