तमसा नदी के तट पर बसा उत्तर प्रदेश का आज़मगढ़ जिला। यहां वॉयस ऑफ आज़मगढ़ सामुदायिक रेडियो (Voice of Aazgarh Community Radio) पिछले दस सालों से शहर के तरक्कीपसंद और क्रांतिकारी अवाज़ों को परवाज़ दे रहा है। यहां सभी रेडियो जॉकी ज्यादातर महिलाएं हैं जो परंपरा और पितृसत्ता से ऊपर उठकर अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं। रेडियो जॉकी सभी साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि की महिलाएं स्वास्थ्य, स्वच्छता, मतदाताओं के अधिकार, लोकतंत्र, सरकारी योजनाओं और अन्य स्थानीय मुद्दों के बारे में बात करती हैं और इस तरह सामुदायिक संवाद और भागीदारी को प्रोत्साहित करती हैं।
एक दशक पुराना वॉयस ऑफ आज़गढ़ 90.8 मेगाहर्ट्ज
वॉयस ऑफ आज़मगढ़ 90.8 मेगाहर्ट्ज (Live 90.8 FM) आज़मगढ़ का एकमात्र सामुदायिक रेडियो चैनल है। इसकी शुरूआत 2011 में हुई, स्थापना के विचार के साथ ही खोज शुरू हुई एक ऐसे शख्स की जो जनपद की महिलाओं के विचारों और जज्बातों की आवाज़ बन सके। इस खोज की मुकाम बनी सीमा श्रीवास्तव. जो इस सामुदायिक रेडियो को संभाल रही है। रेडियो से बचपन से ही उनका एक साथ रहा।
सीमा लखनऊ की रहने वाली है। उन्होंने लखनऊ आकाशवाणी के साथ करीब 25 सालों तक काम किया। जब उन्हें पता चला कि आज़मगढ़ में एक रेडियो स्टेशन खोला जाना है। तो कुछ दुविधा में थी कि उन्हें जाना चाहिए या नहीं? फिर उन्होंने जाने का फैसला लिया। “यहां के लोगों के साथ मुलाकात थी, बुराई थी, कुछ अच्छाई थी, समस्याएं था और कुछ प्यार था। इन्ही चीजों ने मुझे यहां बांध लिया।” आज वो कहती है कि जब मैं आज़मगढ़ को डिस्क्राइब करती हूं तो इसका मतलब है कि ‘आज हम घर पर है’।

जलता चराग हूं आंधियों के शहर में,
मुझे हर घर में रौशनी बांटने दो…
सीमा श्रीवास्तव
आज़मगढ़ में सामुदायिक रेडियो की ज़रूरत क्यों पड़ी?
सीमा बताती है कि यह रेडियो स्टेशन आज़मगढ़ के एक ग्रामीण क्षेत्र अनजान शाहीद क्षेत्र में बना हुआ है, जिसका अपना एक इतिहास और परंपरा है। देखा जाए यह क्षेत्र शैक्षणिक दृष्टि से काफी समृद्ध है। मिर्जा अहसनुल्लाह बेग एजुकेशन सोशल वेलफेयर सोसाइटी ने अपनी समृद्ध संस्थाओं के साथ शिक्षा को और ख़ासतौर से महिला शिक्षा को आगे बढ़ाया है। जब समय के साथ साथ स्कूल और कॉलेज की स्थापना हो गई तो सवाल उठा कि यहां की महिलाओं को शिक्षा तो मिल रही है लेकिन क्या उनके पास अभिव्यक्ति की आज़ादी है, क्या वो अपनी बातों को बता पा रही है, क्या वाकई महिलाओं के स्थिति में सुधार हो रहा है? इन महिलाओं को आवाज़ देने के लिए वॉयस ऑफ आज़मगढ़ की शुरूआत की गई।
महिलाएं हर विषय पर खुलकर करती है संवाद
इसका उद्देश्य यह भी था कि इसे महिलाओं द्वारा ही संचालित किया जाए। साथ ही लड़कियां अपने भविष्य का फैसला ले सके, अपने बारे में सोच सके और समाज में अपने आप को स्थापित कर सके। आज जब लड़कियों से महावारी के बारे में पूछा जाता है तो वो खुलकर बात करती है, चाहे वो प्रेगनेंसी हो, मेनोपोस हो हर विषय पर अपनी बात रखती है। कार्यक्रम में जब एक्सपर्ट को बुलाया जाता है तो उनके साथ अपनी परेशानियों को भी बताती है।

आज़मगढ़ की आवाज़ हैं हम
जिंदगी की परवाज़ हैं हम
हौसले जिसे गुनगुना रहे
कल का वो आगाज़ हैं हम
ये चंद लाइने इस रेडियो स्टेशन को और आज़मगढ़ को बयां करती है। वॉयस ऑफ आज़मगढ़ में हर दिन कार्यक्रमों की शुरूआत होती है ‘ईबादत के फूल’ कार्यक्रम से जिसमें भजन, नात, बाइबिल भी सुनाई जाती है। यहां किसी प्रोग्राम का कोई विषय निर्धारित नहीं किया जाता बल्कि समाज को जागरूक करने और समय की मांग को देखते हुए जो समाज चाहता है। उस पर प्रोग्राम बनाए जाते है।
सीमा लोगों के बीच जाकर करती हैं संवाद
सीमा ने DNN24 को बताया कि रेडियो एक श्रवण माध्यम है जिसमें सुनाना और समझाना होता है लेकिन लेकिन वॉइस ऑफ आज़मगढ़ को लोगों को समझाने और बताने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि हम उनके बीच में होते है, और अपनी आवाज़ हर इंसान सुनना पसंद करता है। हम लोगों के बीच में जाते है ब्रॉडकास्टिंग करते है, उनसे बातचीत करते है फिर दूसरी जगहों पर उनके रिश्तेदार उनके चाहने वाले उन्हें सुनते है और ऐसे लोगों के बीच इंटरैक्ट करते है और ऐसे ही रेडियो सुन लिया जाता है।”
“जब हुनर और इंसानियत एक साथ मिल जाती है तो तहज़ीब का दामन अपने आप भरने लगता है। सीमा ने रेडियो स्टेशन में सबसे पहली RJ एक कॉलेज की एक महिला को बनाया था, जो पढ़ी विखी नहीं थी और एक मैस में काम करती थी। फिर वो इतना आगे बढ़ी कि उन्होंने मेरे साथ दिल्ली तक कॉंफ्रेस में शामिल हुई।”
यह रेडियो स्टेशन महिलाओं को सशक्त और समाज के विकास के लिए एक उद्देश्य रखता है। सीमा चाहती है कि हम अकेले है ध्वनि तरंगों पर हम एक यात्रा करा रहे है। कोशिश है कि आगे भी उमंगों और उत्साह का यह सफर जारी रहें।
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