30-Sep-2024
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कश्मीर की सायका राशिद: पेशे से इंजीनियर दिल से कैलीग्राफी आर्टिस्ट

सायका राशिद कश्मीर के अलावा मुंबई, अजमेर, बैंगलोर जैसे शहरों में जाकर आर्ट्स एग्ज़ीबिशन में पार्टिसिपेट करती हैं

कश्मीर की रहने वाली सायका राशिद पेशे से एक इंजीनियर है। बिजली विकास विभाग में बतौर असिस्टेंट इंजीनियर काम करती हैं। साथ ही एक कैलीग्राफी आर्टिस्ट भी हैं। वो एब्स्ट्रेक्ट आर्ट, मॉडर्न आर्ट और कैलीग्राफी करती हैं। वो इस्लामी कैलीग्राफी में अपने ख़ूबसूरत और बारीक काम के लिए जानी जाती हैं। सायका पारंपरिक कैलीग्राफी शैलियों को नए ज़माने की कला के साथ मिलाकर एक ख़ास पहचान बना चुकी हैं। उनकी कला में अक्सर कुरान की आयतें और अरबी कैलीग्राफी के सुंदर रूप देखने को मिलते हैं, जिन्हें वो बहुत ध्यान और सटीकता से बनाती हैं।

बचपन से था आर्ट्स में शौक

सायका ने DNN24 को बताया कि बचपन में जहां वो कुरान पढ़ने के लिए जाती थी वहां लोग कैलीग्राफी भी किया करते थे। सायका उनको देखती थीं और घर वापस आकर प्रेक्टिस किया करती थीं। आठवीं कक्षा से वो स्केच बनाने लगीं। अपनी मां की पोर्ट्रेट भी बनाया करती थीं। सायका ने इंजीनियरिंग पंजाब कॉलेज से की है। कॉलेज में वो मेहंदी कॉम्पीटीशन में हिस्सा लेती थीं और उसमे हर साल फर्स्ट आती थी। सायका बताती हैं कि वो टेबल टेनिस प्लेयर भी रह चुकी हैं। उनका मानना है कि इंसान को काम के साथ अलग-अलग एक्टिविटी करते रहना चाहिए।

जैसे ज़िम्मेदारियां बढ़ी तब सायका का कला उनसे दूर जाती गई। कोरोना महामारी की वजह से उन्होंने अपनी कला को दोबारा शुरू किया। जब उनसे पूछा गया कि बतौर इंजीनियर आप आर्टस से कैसे जुड़ी तो उन्होंने कहा कि “जब मेरी रूचि इस आर्ट में आई तो उस समय कश्मीर में इसका इतना विकास नहीं हुआ था। हर इंसान अपनी ज़िदगी में एक दूसरा ऑप्शन लेकर चलता है इसलिए मैंने प्रोशनली इंजीनियरिंग को चुना।”

सायका राशिद कैलीग्राफी को देती है मॉर्डन लुक

सायका Abstract Art वर्क करती हैं और उसे कैलीग्राफी के साथ जोड़ती हैं। उनकी कोशिश रहती है कि दोनों आर्ट को बेहतर तरीके से मिलाकर रिप्रेजेंट करें। उन्होंने इसका कोई कोर्स नहीं किया, उनका मानना है कि इंसान खुद से ही बेहतर सीख सकता है। क्योकि वो खुद से ज्यादा कोशिश करता है।

अगर सायका कुछ बनाना शुरू करती हैं तो उसको पूरा करके छोड़ती है। उनका आर्ट बनाने की थीम अलग-अलग होती है। वो इस्लामिक कैलीग्राफी करती हैं जिसमे वो कुछ आयतें लिखती हैं। उनकी पेंटिंग में इमोशन्स होते हैं। वो कहती है कि “मैं बहुत खुशनसीब हूं कि मैं इस आर्ट को कर रही हूं और कश्मीर के लोगों ने मुझे काफी सपोर्ट किया है। जिस तरह से मैं आगे बढ़ी हूं उससे साफ होता है कि समाज ने मुझे सपोर्ट किया है। एक महिला होने के नाते काफी सारी ज़िम्मेदारियां होती है। लेकिन दोनों काम संभालती हूं।”

कई शहरों की आर्ट एग्ज़िबिशन में कर चुकी हैं पार्टिसिपेट

सायका राशिद कश्मीर के अलावा मुंबई, अजमेर, बैंगलोर जैसे शहरों में जाकर आर्ट्स एग्ज़ीबिशन में पार्टिसिपेट करती हैं। उन्होंने DNN24 को एक एग्ज़ीबिशन में उनके साथ हुए एक किस्से के बारे में बताया। जब सायका मुंबई में लगी एक एग्ज़ीबिशन गईं। तो वहां भारतीय अभिनेता बिंदु दारा भी आए हुए थे और करीब 300 से लेकर 400 आर्टिस्ट ने उस एग्ज़ीबिशन में हिस्सा लिया था।

सायका वहां एक मात्र कश्मीरी महिला थी। उनकी आर्ट को लोगों ने काफी सराहा था। “लोगों ने कहा था कि आपका आर्ट वर्क मिडिल ईस्ट के लिए काफी हद तक अच्छा है। आपको वहां पर भी एग्ज़ीबिशन लगानी चाहिए। मैं जब एग्ज़ीबिशन में बाहर जाती हूं तो अलग-अलग जगह के लोग मेरे पास आते है और उनका मुझे काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिलता है।”

अजमेरी शरीफ़ में हर साल इंटरनेशनल सूफ़ी रंग फेस्टिवल आयोजित किया जाता है। इस फेस्टिवल में भी सायका शामिल हुई थीं। इसके अलावा बैंगलोर एग्ज़ीबिशन में श्री रवि शंकर जी के सामने सायका को अपनी आर्ट को दिखाने का मौक़ा मिला था। वो कश्मीर की युवा कलाकारों, खासकर महिलाओं को इस पुरानी कला को अपनाने के लिए प्रेरित करती हैं।

बतौर एक कलाकार होने के नाते उन्हें जो चीज़ ख़ास बनाती है वो है अपनी मातृभूमि कश्मीर से उनका गहरा जुड़ाव। सायका की रचनाओं में दिखती बारीकी और कठिन पैटर्न उनके इमोशनस को प्रदर्शित करते हैं। वो कहती हैं कि जो दर्जा वो अपने बच्चों को देती हैं वहीं दर्जा आर्ट के लिए भी है।

 ये भी पढ़ें: अपनी Disability को Ability बनाने वाले कश्मीर के कमेंटेटर इरफ़ान भट्ट

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