भारतीय अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला अपने छह साथियों के साथ अंतरिक्ष से धरती पर लौटने वाली थी। अचानक अंतरिक्ष यान में आग लगने से कल्पना और उनके साथियों की मौत हो गई। इस घटना का प्रभाव महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव बारामती की रहने वाली करिश्मा पर पड़ा। करिश्मा इनामदार उस समय महज 11 साल की थी। छोटी उम्र में करिश्मा को अहसास हो गया था कि वह भी एक अंतरिक्ष यात्री बनेगी और आसमान छूएंगी। उन्हें इस बात की भी खबर नहीं थी कि एक दिन वह नासा में स्पेस रोबोटिस्ट बनेगी।
करिश्मा ने आवाज द वॉइस को बताया कि, ”कल्पना चावला की इस हादसे में मौत हो गई। लेकिन उन्होंने मुझे और मेरे जैसी लाखों लड़कियों को अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना दिया। इस घटना के बाद मुझ पर अंतरिक्ष यात्री बनने का जुनून सवार हो गया।”
करिश्मा ने इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में आईआईटी खड़गपुर में अपना शोध प्रबंध प्रस्तुत किया। इसके बाद उन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए समर्पित फ्रांस की प्रतिष्ठित ‘इंटरनेशनल स्पेस यूनिवर्सिटी’ में फ़ेलोशिप के लिए अप्लाई किया। इंजीनियरिंग के अपने आखिरी सेमेस्टर के दौरान, वह इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से फेलोशिप हासिल करने में सफल रहीं। फ्रेंच यूनिवर्सिटी ने उन्हें मास्टर्स के लिए चुना था।
‘इंटरनेशनल स्पेस यूनिवर्सिटी’ से मास्टर्स कर रहीं करिश्मा को विश्व प्रसिद्ध अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ‘नासा’ में रिसर्च असिस्टेंट के तौर पर काम करने का मौका मिला। करिश्मा अब ‘स्पेस रोबोटिस्ट’ के तौर पर काम कर रही हैं। अपने अब तक के सफर के बारे में बात करते हुए वह कहती हैं, ”जैसे ही मैंने शोध करना शुरू किया, मुझे एहसास हुआ कि यह तो बस शुरुआत है और ‘आसमान की कोई सीमा नहीं है।
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