शादी हो या किसी धार्मिक अवसर पर पीतल और तांबे के बर्तन का बड़ा ही महत्व होता है। जितनी महत्वपूर्ण ये धातु होती है, उतनी ही ज्यादा इसकी कीमत भी होती है। मशीन से बने तांबे के बर्तन तथा उत्पादों ने बाजारों पर क़ब्ज़ा कर लिया है। तांबे के बर्तनों पर नक्काशी कर, कारीगर इस कला को जीवित रखने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसे ही एक कारीगर हैं कश्मीर के मोहम्मद असलम भट्ट।
असलम भट्ट नए डिजाइनों, तकनीकों और अनूठे उत्पादों की शुरूआत के साथ, कश्मीर घाटी में तांबे के बर्तनों के शिल्प को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं। हर सुबह के पुराने शहर क्षेत्र में अपनी दुकान पर तांबे के बर्तन बनाने के लिए आते हैं, जिन्हें न केवल स्थानीय लोग बल्कि दुनिया भर से आने वाले पर्यटक पसंद करते हैं और खरीदते भी हैं।
मोहम्मह असलम भट्ट कश्मीरी तांबे के बर्तनों पर नक्काशी करते है। इस नक्काशी के बादशाह ने तांबे पर नक्काशी कर अलग-अलग चीजों को बनाकर इस पुरानी कला को नई जिंदगी दी है। उन्होंने इस कला को सिर्फ तांबे के बर्तनों तक सीमित नहीं रखा बल्कि चूड़िया, कश्तियां और दूसरी सजावटी चीजें बनाकर एक अनोखा सफर शुरू किया।
असलम श्रीनगर के रहने वाले है। वह बताते हैं कि उनके पैरेंट्स भी यह काम करते थे। असलम DNN24 को बताते है घर में शुरू से ही इस काम का माहौल था तो मेरी भी इस काम में दिलचस्पी आई। मैंने देखा कि यह कला कम होती जा रही है। लेकिन मैं चाहता था कि इस कला में कुछ बदलाव लेकर आऊं”।
असलम लैंप, गुम्बद, फूल, शिकारा, नक्काशीदार शीशा, सुराही और घड़ी भी बनाते हैं। असलम कहते हैं कि “जब मैंने यह काम शुरू किया तो लोगों ने मुझे सराहा। मैंने सोचा कि ज्वेलरी भी बनाऊं फिर मैने ज्वेलरी भी बनाई और इसमे मुझे कामयाबी मिली। इस काम में मेहनत ज्यादा है आज की पीढ़ी बहुत फास्ट है। अगर उन्हें इस काम के लिए जोड़ा जाए तो हो सकता है वह इस मेहनती काम को करने के लिए तैयार नहीं होंगे। मैं चाहता था कि कुछ ऐसा काम करूं जिसमे समय कम लगे और करने में मज़ा आए। जिन चीजों का आप चित्र बनाते हो उसे आपको हाथ से बनाना है। असलम आधुनिक तकनीक को ना अपनाकर हर एक टुकड़े को अपने हाथों से तैयार करते हैं।”
यह कला एक समुद्र की तरह है
असलम कहते हैं कि अब तक किसी ने तांबे की लैंप और गुम्बद नहीं बनाई थी। मैंने कई सारी चीजे बनाई है लोग मेरी बनाई हर चीजों की तारीफ करते हैं लेकिन मुझे अपने सभी प्रोडक्ट में गुम्बद बहुत पसंद है. यह कला एक समुद्र की तरह है, आप इसमें जितना नया कर सकते हो उतना ही इस काम का विस्तार होगा। इस काम में स्कोप भी है। मैने देखा है कि लोगों को हाथों से बनी चीजे पसंद आती है। लोग अपने घरों को इनसे सजाते हैं। यहां बेरोजगारी है जिसकी वजह से लोग गलत काम करने लगते है जैसे ड्रग्स का इस्तेमाल करने लगते है तो वह इसे बनाए। वह पढ़े लिखे होंगे अगर वह इस आर्ट के साथ जुड़े तो जरूर कुछ नया ईजाद करेंगे हमारे लिए यह एक सोने पर सुहागा वाली बात होगी। जो चीज़ हम नहीं कर पाए अगर जूड़ेंगे तो जरूर बहुत कुछ कर पाएंगे और यह कला हमेशा जिंदा रहेगी।
लोग दूर दूर से असलम के पास सामान खरीदने आते हैं लोग हमेशा अच्छा और नया चाहते है वह जो भी बनाते हैं, लोगों को बहुत पसंद आता है। यह उनके लिए बहुत फख्र की बात है। यह कला कभी ख़त्म नहीं होनी चाहिए और हमें इस कला को बचाने के लिए काम करते रहना चाहिए। हर गुजरते दिनों के साथ कारीगरों की संख्या कम हो रही है, और इसका मुख्य कारण मशीन से बने उत्पाद हैं। यह कहना गलत नहीं होगा जो काम हाथ से किया जाता है उसे मशीन हुबहू वैसा नहीं बना सकती।
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