पुरानी दिल्ली की तंग गलियों में, जहां इतिहास हर मोड़ पर सांस लेता है, वहां एक ऐसी दुकान है जो न सिर्फ़ इत्र बेचती है, बल्कि एक पूरी परंपरा की ख़ुशबू को ज़िंदा रखे हुए है। जी हां, हम बात कर रहे हैं देश की सबसे पुरानी इत्र की दुकान, Gulabsingh Johrimal की, जिसकी बुनियाद साल 1816 में चांदनी चौक में हुई थी।
इत्र की शुरुआत, आठवीं पीढ़ी की ज़िम्मेदारी
लाला गुलाब सिंह और उनके बेटे लाला जौहरीमल ने जब ये कारोबार शुरू किया, तब शायद ही उन्होंने सोचा होगा कि उनकी बनाई ख़ुशबू आने वाले दो सौ सालों तक लोगों के दिलों में बसी रहेगी। मुगल काल से लेकर आज के मॉडर्न इंडिया तक, इस दुकान की इत्रों ने राजाओं से लेकर आम लोगों तक को मंत्रमुग्ध किया है।

आज इस दुकान की कमान Gulabsingh Johrimal की आठवीं पीढ़ी के हाथों में है। परिवार के सदस्य विनम्र गुंधी ने DNN24 को बताया कि ये 209 साल पुरानी दुकान है, “मैं कह नहीं सकता कि शुरुआत कैसे हुई, लेकिन हां, हमारे फर्म का नाम लाला गुलाब सिंह और उनके बेटे लाला जरीमल जी के नाम पर ही पड़ा।” वो बताते हैं कि उनके ताऊजी और पिता ने इस कारोबार को मज़बूती से चलाया और अब नई पीढ़ी इसे आगे ले जा रही है।
बचपन से इत्र की ख़ुशबू में पला-बढ़ा
विनम्र कहते है कि स्कूल के दिनों से ही उन्हें इस कारोबार में आने के लिए तैयार किया गया। परिवार का पूरा सपोर्ट उन्हें मिला, और जब भी कोई दिक्कत आती है, उनके ताऊजी और पिताजी भी साथ खड़े होते हैं। आज वो इत्र, अगरबत्ती, साबुन, गुलाबजल और जो भी ख़ुशबू से रिलेटेड प्रोडक्ट होते वह सभी बनाए जाते हैं। आज भले ही सोशल मीडिया का ज़माना है, लेकिन जब उन्होंने इस बिज़नेस में कदम रखा, उस वक़्त ऑनलाइन मौजूदगी बहुत कम थी। उन्होंने बताया, “हमारा मक़सद है कि इस सदियों पुरानी विरासत को नई पीढ़ी तक ले जाया जाए। इसलिए सोशल मीडिया के ज़रिए हमने अपना ब्रांड डिजिटल दुनिया में उतारा।”

क्वालिटी के साथ वाजिब दाम — ये है पहचान
Gulabsingh Johrimal की सबसे बड़ी ख़ासियत है उनकी प्रोडक्ट रेंज। यहां आपको 30 रूपये से लेकर 1000 रुपये तक के इत्र, अगरबत्ती, गुलाब जल, साबुन और अन्य ख़ुशबूदार प्रोडक्ट्स मिलेंगे। वह बताते हैं, “हमारे ग्राहक को हमारे प्रोडक्ट्स की ख़ुशबू, शुद्धता और दाम की ईमानदारी पसंद आती है। हम क्वालिटी से कभी समझौता नहीं करते, यही हमारा सबसे बड़ा बिज़नेस मंत्र है।”
ब्रांडिंग की नई राहें और भविष्य की ख़ुशबू
मार्केटिंग के लिए उन्होंने सोशल मीडिया को चुना है। आज उनका इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर अच्छा-खासे फॉलोवर्स है। उनका मानना है कि अच्छी स्टोरीटेलिंग और क्वालिटी प्रोडक्ट मिलकर एक ब्रांड की पहचान बनाते हैं। भविष्य को लेकर उनका सपना साफ है — “हम चाहते हैं कि हमारी बनाई ख़ुशबू पूरी दुनिया में पहुंचे। लोगों को शुद्ध, पारंपरिक और सस्ती ख़ुशबू मिले।” वो कहते हैं कि नए लोगों को इत्र के बिज़नेस में आना चाहिए, लेकिन एक सलाह के साथ — “कभी भी क्वालिटी से समझौता मत करो। प्रोडक्ट की क्वालिटी ही आपकी असली पहचान होती है। अगर आपका माल अच्छा है, तो ग्राहक अपने-आप आपके पास आएंगे।”

नए उद्यमियों के लिए संदेश
अगर आप परफ्यूम या इत्र का बिज़नेस शुरू करना चाहते हैं, तो Gulabsingh Johrimal परिवार का मैसेज है कि ईमानदारी से काम करे, क्वालिटी को हमेशा सबसे पहले रखे, ग्राहकों से फीडबैक लें और सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करें। Gulabsingh Johrimal के लिए इत्र सिर्फ़ एक प्रोडक्ट नहीं, बल्कि एक भावनात्मक विरासत है। जब आप उनकी दुकान में कदम रखते हैं, तो आपको सिर्फ़ ख़ुशबू नहीं, बल्कि इतिहास, परंपरा और एक परिवार की मेहनत की महक महसूस होती है। दिल्ली की भीड़भाड़ और शोरगुल के बीच, यह दुकान आज भी एक सुकून की जगह है — जहां हर बोतल में कैद है सदियों की ख़ुशबू।
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