इस्लामिक देशों में, धर्मिक मामलों पर ध्यान दिया जाता है लेकिन कट्टरपंथ की वजह से सरकार के खिलाफ आलोचना नहीं की जा सकती है। पाकिस्तान जैसे इस्लामी लोकतांत्रिक देश में आतंकवाद प्रबल है। मेरा मानना है कि इस्लामिक सरकार के कारण धर्मिक मामलों पर अलग होना मुश्किल है। मौलवियों और मुफ्तियों की कट्टरता से आप हमेशा सुखी नहीं रह सकते।
पाकिस्तान में भी मस्जिद और मदरसे में सुरक्षित महसूस नहीं होता। चीन जैसे देशों की स्थिति पर विचार करते हुए यह चिंता होती है कि मुसलमानों को एक विरोधी माहौल में रहना पड़ता है। धार्मिक असहमति के कारण मुसलमान एक दूसरे के खिलाफ हो गए हैं।
कुछ जगहों पर शिया-सुन्नी संघर्ष होता है और वहाबी-सुन्नी रिश्ते कुछ देशों में अच्छे नहीं हैं। भारत मुसलमानों की दार-उल-अमन की तरह रक्षा करता है, लेकिन उन्हें जजिया जैसा कोई अतिरिक्त कर भी अदा नहीं करना पड़ता है।
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