19 साल की पाकिस्तानी आयशा रशन पिछले 10 सालों से हार्ट डिस्फंक्शन से जूझ रही थीं। डॉक्टर्स ने उन्हें हार्ट ट्रांसप्लांट की सलाह दी लेकिन उनकी सर्जरी में करीब 35 लाख रुपये का खर्च आ रहा था। आयशा के परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो अपनी बेटी की सर्जरी करवा सकें। तब डॉक्टर्स ने आयशा के परिवार का कॉन्टेक्ट ऐश्वर्यम ट्रस्ट से करवाया, जिन्होंने उनकी आर्थिक मदद की। चेन्नई के MGM हेल्थकेयर में फ्री हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी के बाद आयशा को नई ज़िंदगी मिली। जिसका डोनर एक भारतीय था। ये पहली बार नहीं है, जब भारतीय डॉक्टर्स दूसरे देशों के मरीजों के लिए आगे आए हों। इससे पहले भी कई लोगों को हिंन्दुस्तानी डॉक्टर्स ने नई ज़िंदगी दे चुके हैं।
भारतीय डॉक्टर्स ने पाकिस्तान की सुरैया बानो को दी थी नई ज़िंदगी
साल 2022 में पाकिस्तान के पंजाब की रहने वाली सुरैया बानो लंबे वक्त से म्यूकोमाइकोसिस बीमारी से जूझ रही थीं। पाकिस्तान में अलग अलग डॉक्टरों से इलाज कराया लेकिन कुछ सुधार नहीं हुआ। उसके बाद उनकी बेटी इकरा ने इंडियन आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क किया और सूरत के डॉक्टर रजनीकांत पटेल ने उनका इलाज किया। दिलचस्प बात ये है कि ऑनलाइन इलाज के बदले डाॅक्टर रजनीकांत ने उनका मुफ़्त इलाज किया।
ऐसे ही 14 अगस्त 2018 में भारतीय और पाकिस्तानी डॉक्टर तब एक साथ आए जब एक तीन साल की अफगान बच्ची की जान बचाई थी। हादिया नेसारी को लीवर की समस्या के कारण लाहौर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टर ने लीवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी। तब पाकिस्तानी डॉक्टर ने तीन साल की हदिया नेसारी के लिवर ट्रांसप्लांट के लिए दिल्ली के अपोलो अस्पताल से मदद ली थी।
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