कश्मीर ना सिर्फ अपनी बेइंतहा खूबसूरती के लिए मशहूर है बल्कि यहां की फिज़ाओं में भी संगीत गूंजता है, जिसकी आगोश में रहकर क़ैसर निज़ामी ने अपनी आवाज़ का जादू पूरी दुनिया में बिखेरा है। कश्मीरी संगीतकार और गायक क़ैसर निज़ामी अपने गीत ‘हरमुख बारताल ज़गई’ से फेमस हुए थे। वो ना सिर्फ कश्मीर के लिए ख़ास पहचान रखते हैं, उससे बढ़कर साल 2019 में भारत का नाम उन्होंने प्रतिष्ठित ग्रैमी पुरस्कार के लिए नॉमिनेट होकर रौशन किया। ग्रैमी अवॉर्ड संगीत की दुनिया में सर्वोच्च सम्मान माना जाता है। क़ैसर निज़ामी को उनके गीत ‘नाज़नीनय’ (ओ ब्यूटी) के लिए नॉमिनेट किया गया था।
ये पहली बार था कि किसी कश्मीरी सिंगर ने ग्रैमी अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया। सिंगर क़ैसर निज़ामी ने अपने गीत को अमेरिका के संगीतकार और संतूर वादक एहसान मटूरी के मल्टीनेशनल ‘द वॉयस एंड ब्रिजेस’ प्रोजेक्ट के सहयोग से तैयार किया था।
धमकियां मिली लेकिन संगीत के प्रति प्रेम कभी कम नहीं हुआ
क़ैसर निज़ामी ने अपने संगीत और गायन से भारत ही नहीं दुनियाभर के लोगों का दिल जीता हैं। करीब चार दशकों से क़ैसर निज़ामी दिल्ली, बॉम्बे और कश्मीर रेडियो से अपनी शानदार आवाज़ के ज़रीये से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं। क़ैसर निज़ामी को कश्मीरी, उर्दू, हिंदी में ग़ज़लों, भजनों, सूफी कविताओं के गायन के साथ-साथ फ़ारसी गायन में भी महारत हासिल हैं।
कै़सर निज़ामी ने आवाज़ द वॉयस को बताया कि शुरुआत में उनका रुझान संगीत की तरफ नहीं था। उन्हें बचपन में क्रिकेट खेलने का शौक था। उनके पिता के रेडियो कश्मीर, श्रीनगर के साथ जुड़ाव ने उन्हें संगीत के क्षेत्र के करीब ला दिया। अबतक के सफर में उन्हें कई धमकियां भी मिली लेकिन उनका संगीत के प्रति प्रेम कभी कम नहीं हुआ और अपने इस सफर को जारी रखा।
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