क्या आप पीर मुहम्मद मूनिस को जानते हैं? ब्रिटिश अधिकारियों का मानना था कि पीर मुहम्मद मूनिस ही वह व्यक्ति थे जिन्होंने महात्मा गांधी को चंपारण में किसानों की दुर्दशा के बारे में सूचित किया था।
पीर मुहम्मद मूनिस बेतिया के रहने वाले थे। वो महान स्वतंत्रता सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी द्वारा संपादित राष्ट्रवादी हिंदी समाचार पत्र ‘प्रताप’ के योगदानकर्ता थे। ‘प्रताप’ एक ऐसा अख़बार था, जिसने चंपारण के मुद्दों पर अपनी अभिव्यक्ति के लिए खुद को प्रतिष्ठित किया। पीर के लेखों ने चंपारण में आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाया। उन्होंने राज कुमार शुक्ल के साथ मिलकर गांधीजी को चंपारण लाने और सत्याग्रह शुरू करने में अहम भूमिका निभाई।
महात्मा गांधी की यात्रा से पहले और यात्रा के बाद भी पीर ने उन किसानों को सलाह दी, जिन्होंने नील की खेती करने वालों के खिलाफ़ कानूनी लड़ाई लड़ी थी। वो किसी भी किसान की मदद के लिए एसडीएम और एसडीओ की अदालत में बैठते थे, जो नील की खेती करने वालों के खिलाफ़ मामला दायर करना चाहते थे। गांधीजी को राष्ट्रीय नायक बनाने में पीर मूनिस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चंपारण सत्याग्रह के बाद वो 1949 में अपनी आखिरी सांस तक किसानों के अधिकारों, दलित वर्गों और हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए तत्पर रहे।
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