बचपन किसी भी बच्चे का सबसे अनमोल समय होता है, अगर उस दौरान पढ़ाई लिखाई के बजाय बच्चे बाल मजदूरी करने लगें तो उनकी ज़िंदगी का सबसे कीमत वक्त बेकार हो जाता है। ऐसे ही बच्चों के मसीहा बन रहे हैं एम गाजी। शाइनिंग इंडिया फाउंडेशन की मदद से वो ऐसे बच्चों को इस दलदल से बाहर निकालने में मदद कर रहे हैं, जो बाल मजदूरी करके अपनी जिंदगी के सबसे खास पड़ाव को खोते जा रहे हैं। एम गाज़ी ने पॉलिटिल साइंस की पढ़ाई जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पूरी की है और अब वो बाल मजदूरी करने वाले बच्चों का मुस्तकबिल बनाने का काम कर रहे हैं।
गाज़ी ने साल 2017 में 20 से 22 लोगों की टीम बनाकर शाइनिंग इंडिया फाउंडेशन की नींव रखी और बच्चों को शिक्षा देने का बीड़ा उठाया। उन्होंने कुछ टीचर्स की मदद से शाहीन बाग और इस्लामपुर में स्कूल खोले, लेकिन गाजी ने देखा कि उनके स्कूल में बच्चों की संख्या धीरे धीरे कम हो होने लगी। कारण था बच्चे होटल में काम करके अपने परिवार की आर्थिक मदद करते थे।
गाज़ी ने फैसला लिया कि वो पढ़ाई के साथ साथ बच्चों को कुछ ऐसी स्किल्स भी सिखाएंगे, जिससे वो पढ़ाई करने के साथ ही रोज़ी रोटी कमा सकें और अपने परिवार की मदद भी कर सकें। आज स्लम एरिया में चलाए जा रहे शाइनिंग इंडिया फाउंडेशन के स्कूलों के जरिए कुछ बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूल में भी हो चुका हैं। गाज़ी का मानना है कि चाइल्ड लेबर इस दुनिया से पूरी तरह खत्म चाहिए क्योंकि बच्चे ही हमारे देश का भविष्य है।
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