एक दौर था, जब देश के हर गांव की पहचान उसके तालाब हुआ करते थे। लेकिन ये तालाब धीरे-धीरे गायब होने लगे। वक़्त के साथ लोग अपनी परंपराएं भूलने लगे और अपनी धरोहर को भी खोने लगे। जब सभी ने गांवों की शान इन तालाबों से मुंह मोड़ लिया, तब एक शख़्स ने उनकी आवाज़ बनने का फैसला किया। रामवीर तंवर ने महसूस किया कि शहरों में लोग वॉटर पंप लगाकर पानी खींच रहे हैं और वाटर लेवल नीचे गिरता जा रहा है, जबकि तालाबों की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। रामवीर को आज पूरा देश ‘Pondman of India’ के नाम से जानता है।
बचपन की यादें और तालाबों का दर्द
ग्रेटर नोएडा के डाढा गांव में एक कृषक परिवार में पैदा हुए रामवीर तंवर का बचपन तालाबों और झीलों के आसपास बीता। वो अपने मवेशियों को चराने के लिए ले जाते थे और तालाबों के किनारे खेलते थे। समय के साथ, उन्होंने देखा कि ये सूखकर गायब होते जा रहे हैं। इसने उनके मन में एक गहरी छाप छोड़ी।रामवीर अपने परिवार के इकलौते मेंबर हैं जिन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उन्होंने ट्यूशन देना शुरू किया ताकि खुद का खर्च उठा सकें। इसी दौरान, उन्होंने जल संरक्षण के महत्व को समझा और अपने गांव के युवाओं को इस मुद्दे पर जागरूक करना शुरू किया। हालांकि, शुरुआत में लोग रामवीर की बातों को गंभीरता से नहीं लेते थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने ‘जल चौपाल’ नाम से एक अभियान शुरू किया, जिसमें हर हफ़्ते बैठकें होती थीं। इसमें उन्होंने लोगों को घटते जल संसाधनों के खतरे के बारे में जागरूक किया।

तालाबों को दिया नया जीवन
रामवीर ने अपने प्रयासों को और संगठित करने के लिए एक एनजीओ Earth की स्थापना की। इस एनजीओ के ज़रिए वह अब तक 100 से ज़्यादा तालाबों को संरक्षित कर चुके हैं। उनकी कोशिश सिर्फ़ तालाब बचाने तक ही सीमित नहीं हैं, वो इनके चारों ओर हरियाली बढ़ाने और इन्हें पर्यटन के लिए आकर्षक बनाने का काम भी कर रहे हैं। रामवीर सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल करते हैं, जहां लोग अपने इलाकों के सूखे तालाबों की तस्वीरें शेयर करते हैं। इन जानकारियों के आधार पर वो उन जगहों तक पहुंचते हैं और स्थानीय समुदायों की मदद से तालाबों का पुनरुद्धार करते हैं।
रामवीर तंवर के प्रयासों को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उनकी तारीफ की और उन्हें अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बतारामवीर तंवर की कहानी हमें सिखाती है कि अगर एक शख़्स ठान ले, तो वो बड़े से बड़ा बदलाव ला सकता है। तालाबों की ये लड़ाई सिर्फ़ पानी बचाने की नहीं, बल्कि अपनी संस्कृति और धरोहर को जिंदा रखने की भी है।
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