उर्दू के प्रसिद्ध शायर अल्लामा इकबाल ने मर्यादा पुरूषोत्तम राम को हिंदुस्तान का इमाम माना। राम को मानने वाले मुसलमान भी बहुत है। बिहार के गया के रहने वाले हिंदी, उर्दू और मगही भाषा के शायर खालिक हुसैन को कंठस्थ है राम कथा। जब यह राम कथा कहते हैं तो कोई नहीं कह सकता कि इतना कंठस्थ कथा कोई मुसलमान कर सकता है।
भारत की साझी संस्कृति की ख़ूबसूरती खालिक हुसैन के गले से उतरती है। जो न सिर्फ राम कथा को अनोखे और अनूठे अंदाज में पेश करते हैं, बल्कि देश की गंगा-जमनी तहजीब की गवाही भी देते हैं।
खालिक हुसैन परदेसी एक मुस्लिम कवि हैं, जो हिंदू त्योहारों और अन्य अवसरों पर राम कथा, चौपाई लिखते और सुनाते हैं। खालिक हुसैन हिंदी, संस्कृत के साथ-साथ उर्दू और क्षेत्रीय भाषा मगही के जाने-माने शायर हैं। वह सैकड़ों कविताओं, ग़ज़लों और गीतों आदि के रचयिता हैं। कोंच का यह काबर-खैराबाद गांव कभी घोर माओवादी हिंसा से ग्रस्त रहा है।
राम कथा के कारण खालिक हुसैन परदेसी भी नक्सलियों के निशाने पर रहे हैं। ख़ालिक़ हुसैन परदेसी का कहना है कि “वह श्री राम के चरित्र से प्रेरित हैं और इसीलिए उन्होंने श्री राम के व्यक्तित्व और चरित्र पर लिखा और पढ़ा है, हालांकि इसके लिए उन्हें शुरुआत में समुदाय के बीच नाराजगी का सामना करना पड़ा था।
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